रिश्तो से चलती ये जिंदगी और बिगड़ती रिश्तो से।
देखे रिश्ते खून के और कुछ देखे रिश्ते प्यार के।।
कुछ शब्दों के कहकहों से कुछ देखे मौन रहे से।
कुछ देखे इकरार के और कुछ देखे इजहार के।।
कुछ रिश्ते ठूठ खड़े थे और कुछ खिलते गुलाब से।
सूखे पेड़ पतझड़ के और देखे ये फूल बहार के।।
कुछ रिश्तो में पैसे उड़ते, कुछ मोहताज प्यार के।
गरीब बेरोजगार देखे मैंने भागते पीछे पगार के।।
कुछ रिश्ते शर्बत से चलते कुछ चुभन है कांटो सी।
कटु वचन भी देखे मैंने और देखे राग मल्हार के।।
वक़्त के साथ देखा मलिक, बदलता रूप रिश्तों का।
आजीवन ना हर रिश्ता, कुछ रिश्ते होते है संहार के।।
रिश्तो ने मेरी ली परीक्षा, मुझे पटरी से उतार के।
बिगड़ते रिश्ते के लिए कोशिश की मैंने खूब सवांर के।
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।