साथी! सदा साथ निभाना ,
सदा साथ निभाना ।
हम रहें या ना रहें जग में,
अपना फर्ज निभाना ।।
हानि लाभ हो या सुख दुःख हो,
सबमें साथ निभाना।।
दुःख-दरिया में फँस जाऊं जो ,
नैया पार लगाना।।
साथी!- – – – – – – – – – — – – – -।
कितना भी हो कष्ट सफर में ,
साहस सदा बढ़ाना।
चलते – चलते थक जाऊँ जब,
आगे हाथ बढ़ाना।।
साथी!- – – – – – – – – – – – – — -।
मैनें अपना कर्ज चुकाया,
भर – भर कर हर्जाना ।।
मेरा नाम मेरा काम बताया,
कुछ तुम भी कर जाना।।
साथी! – – – – – – – – – – – – – – – -।
जैसे अब – तक साथ दिये तुम ,
आगे साथ निभाना।
बीच डगर में कभी भी ‘भवन’,
पीठ नहीं दिखलाना।
साथी! – – – – – – – – – – – – – – – -।
#रामभवन प्रसाद चौरसियापरिचय : रामभवन प्रसाद चौरसिया का जन्म १९७७ का और जन्म स्थान ग्राम बरगदवा हरैया(जनपद-गोरखपुर) है। कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में सहायक अध्यापक का है। आप उत्तरप्रदेश राज्य के क्षेत्र निचलौल (जनपद महराजगंज) में रहते हैं। बीए,बीटीसी और सी.टेट.की शिक्षा ली है। विभिन्न समाचार पत्रों में कविता व पत्र लेखन करते रहे हैं तो वर्तमान में विभिन्न कवि समूहों तथा सोशल मीडिया में कविता-कहानी लिखना जारी है। अगर विधा समझें तो आप समसामयिक घटनाओं ,राष्ट्रवादी व धार्मिक विचारों पर ओजपूर्ण कविता तथा कहानी लेखन में सक्रिय हैं। समाज की स्थानीय पत्रिका में कई कविताएँ प्रकाशित हुई है। आपकी रचनाओं को गुणी-विद्वान कवियों-लेखकों द्वारा सराहा जाना ही अपने लिए बड़ा सम्मान मानते हैं।