लाखों लोग कर रहे अनशन ऐसी क्या मजबूरी है
जू तक नहीं रेंग रही इनके बस प्रचार जरूरी है
नौ-नौ दिन से भूखे-प्यासे घरबार तक छोड़ दिया
बेरोजगारी की जकड़न में जीवन ने मोड़ लिया
एक हजार की भर्ती निकले लाखों फॉर्म भरते है
उम्मीदें टूट जाती है जब सब वादे झूठे निकलते है
अनशन पर बैठे देखो भारत के भविष्य निर्माता
बेरोजगारी इनका कसूर पुलिस की लाठी खाता
रहम कर सरकार क्यों आँख बन्द कर बैठ गयी
अनशन नहीं हार है तेरी क्यों पत्थर-सी ऐंठ गयी
जाके देखो इनके घरपर विकास नजर आ जाएगा
भूखा बैठा सारा परिवार तुझसे ही आस लगाएगा
ना चाहिए बुलेटट्रैन बस जीवन को पटरी पे ला दो
इनकी मांगे पूरी करो इनका जीवन सफल बना दो
सब मिल बैठे उम्मीद लिये कोई नही सुनने वाला
चाहे जिये या मर जाये बस भगवान है रखवाला
नौ दिन से भूखे प्यासे पर उम्मीद नही इनकी टूटी
अपने हक की लड़ रहे लड़ाई बाकी बातें है झूठी
जो पड़ा बैठना धूप तले सबने क्या गलती की थी
बस हक मांगा सबने वो जिसमें तुमने भर्ती दी थी
गौरव यात्रा खूब हो गई अब इनकी भी तुम सुनलो
बात रखेंगे अपनी सब सही गलत भी तुम चुनलो
क्यों अंधे-बहरे बन बैठे दिखता नहीं तुम्हें अनशन
या यही चाहते हो खत्म हो जाये इनका जीवन
ये मत सोचो कहाँ जाना व कितने भाषण बाकी है
मानलो सब युवाओ की बातें वह उनकी बैसाखी है
जब Ac वाली गाड़ी में घूमों , तुम्हे कहाँ लगे गर्मी
शिक्षित वर्ग को परेशान कर तुम बनो चुनावी धर्मी
बहुत किये सबने अनशन तुमतो अब हुँकार भरो
देखसुन नहीं सकती उसका तुम बहिष्कार करो
“जसवंत”कहे मत भूलो जिसने तुमको राज दिया
देना था इनका साथ तुमने तो नजरअंदाज किया