*चुनावी रंगीनियाँ*

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aalok vashishth
हमारे गांव में सुबह से ही लोगों का जमावड़ा लगा था,चुनावी प्रचार के सिलसिले में नेता जी आने वाले थे। उनके साथ कोई अदाकारा भी आएंगी! लोग आपस में चर्चा कर रहे थे। जिन लोगों ने कभी अपने गांव की कच्ची सड़कों पर मोटर कार नहीं देखा आज वो हेलीकॉप्टर देखने वाले थे। लोग बहुत खुश थे,अब नेता जी के हेलीकॉप्टर की ध्वनि दूर से ही कानो में आने लगी थी,सुरक्षाकर्मी सजग हो गये थे। कुछ समय पश्चात जब नेता जी का हेलीकॉप्टर जमीन पर उतरा तो मानो धूल का बवंडर आ गया,लोग फिर भी चेहरे पर हाथ रख एक टक उस यान को देखते रहे। इसी बीच नेता जी हेलीकॉप्टर से उतरकर स्टेज पर आये और रुमाल से सर का पसीना पोछते हुए एकत्रित हुई भीड़ का अभिवादन किया। सर का पसीना पोछते हुए उनके चेहरे पर गर्मी का भाव कम और भय अधिक दिख रहा था!अब वक्त हो चुका था चुनावी जुमलों का और विपक्ष को अपने अनगिनत आरोपों से कामचोर साबित करने का। नेता जी का भाषण खत्म हुआ सुरक्षाकर्मी अब ज्यादा सजग हो गये,नेता जी जनता से सीधे मिलने जा रहे थे।
फूल-मालाओं के साथ आजकल तमाचा मुफ्त देने का दौर जो चल पड़ा है,सुरक्षाकर्मी चाह कर भी अपनी पलकें नहीं झपका पाते!कुछ उत्साहित युवा वर्ग नेता जी के साथ फोटो खींचने को उतारू हो रहे थे,तो कोई दबी जुबान से गालियां बक रहे थे। अब नेता जी गांव में प्रवेश कर रहें थे,जहां पहले से सुरक्षाकर्मी तैनात थे। गांव में प्रवेश करते ही नेता जी को कुछ लोग सिफारिश लिए मिल गये,नेता जी उन्हें दिलासा दिलाते हुए गांव का सर्वेक्षण करते हैं और आखिर में किसी झुग्गी-झोपड़ी में रात बिताने को जातें हैं।
जिस झोपड़ी में धुआँ आंगन के ऊपर सप्ताह में एक या दो बार ही उठ पाता है आज वहां छप्पन भोग तैयार किये जा रहें थे,घर के सारे सामान बदले जा चुके थे। चारों ओर सबकुछ बदला-बदला सा लग रहा था,खाने के बर्तन से लेकर बिछावन तक नया था। पता नहीं ये नेता जी का करम था या उस गरीब का स्वप्न!
खैर,किसी तरह रात भर मच्छरों का गीत सुनते-सुनते सवेरा हो गया। नेता जी अब गांव के बाहर कदम धर चुके थे,चुनाव भी भली-भाँति सम्पन्न हो गया था। विकास के लगते नारों के पीछे अब मंत्री पद के लिए अनबन होने लगा था।
विकास की आस में हमारे चार बरस बीत गये और अबतलक न नेता जी आये और ना ही उनका विकास!
#अलोककुमार
परिचय- 
नाम-अलोक कुमार
साहित्यिक उपनाम-अलोक कुमार वशिष्ठ
वर्तमान पता-पकरीबरावां (एरुरी)
राज्य-बिहार
शहर-नवादा
शिक्षा-जारी 12वीं कक्षा में अध्ययनरत
विधा -आलेख/कविता
लेखन का उद्देश्य-सामाजिक बदलाव

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।