दर्द का रिश्ता

0 0
Read Time4 Minute, 30 Second

devendr soni

सुबह के पांच बजने वाले थे । तभी गहरी नींद में सो रहे रमेश के फोन की घण्टी घनघना उठी । कुछ ही पल बाद रमेश ने अलसाते हुए फोन देखा तो कोई अपरिचित नंबर दिखा । उसने सोचा इतनी सुबह भला किसका फोन हो सकता है , पर यह सोचते हुए की बाद में लगाकर पता कर लूंगा , फोन काट दिया । थोड़ी ही देर में फिर उसी नंबर से घण्टी बजी ।
अब रमेश ने फोन उठा लिया ।
उधर से किसी ने पूछा – आप रमेश जी बोल रहे हैं । रमेश के हाँ कहने पर किसी अनजान व्यक्ति ने बताया कि – बसंती काकी का देर रात निधन हो गया है । वे अंतिम समय में आपसे मिलना चाहती थीं और जाते जाते कह गईं हैं कि संभव हो तो उनका अंतिम संस्कार आप ही करें । उनके पास आपका नया नंबर नही था और मुझे भी बड़ी मुश्किल से आपका यह नंबर मिला है।
रमेश यह सुन सकते में आ गया और सिर्फ इतना कहा – हाँ , मैं आता हूँ ।
पास ही सो रही अपनी पत्नि सुरभि को उठाते हुए रमेश ने उसे बसंती मौसी के निधन की सूचना दी और वे दोनों तुरन्त ही अपनी कार से रवाना हो गए। रास्ते में सुरभि ने पूछा – क्या आप बसंती मौसी का दाह संस्कार करेंगे ? आपका उनसे ऐसा कोई रिश्ता तो था ही नहीं ?
तब रमेश बोला – हाँ सुरभि । बसंती मौसी से भले ही ऐसा कोई रिश्ता नहीं था पर उनसे मेरा दूध के दर्द का रिश्ता तो था । तभी तो मैं उन्हें मौसी कहता आया हूँ ।
अपने अंतिम वक्त में -माँ ने मुझे बताया था , अगर बसंती न होती तो आज तू भी इस संसार में नही होता बेटा !
मैंने माँ से पूछा था – ऐसा क्यों कहती हो माँ , आप ने जन्म दिया , आपकी ममता की छाँव में पला – बढ़ा …फिर इसमें बसंती मौसी का क्या ?
तब माँ ने बताया था -बेटा , जब तू पैदा हुआ था तब मेरी हालत ऐसी थी कि मैं तुझे अपना दूध नहीं पिला सकती थी । मेरी और तेरी जान खतरे में थी तब नर्स थी बसंती और कुछ ही दिन पहले उसकी नवजात बच्ची चल बसी थी । जब वह वापस अपनी ड्यूटी पर लौटी तो वही मेरी देखभाल करती थी । उससे मेरी और तेरी हालत देखी नहीं गई ।
उसका गीला आँचल और ममता ने मुझसे पूछे बिना ही तुझे जीवन अमृत देना शुरू कर दिया था । मैं सिर्फ उसे कृतज्ञ भाव से निहारती और अपने आंसू बहाती रहती । यह देख उसने कहा था – आज से यह तेरा ही नहीं मेरा भी बेटा है – सुधा । अब मैं इसकी मौसी हूँ ।
मेरे स्वार्थ ने तब बसंती से वचन लिया था – कि यह बात हम रमेश को कभी नहीं बताएंगे । तुझेअब भी   नहीं बताती पर अपने अंतिम समय में यह बोझ मुझसे सहा नहीं जा रहा है , तू समय आने पर अपनी मौसी के दूध का यह कर्ज , अपना फर्ज समझ कर निभाना , क्योंकि तुझे बेटा कहने के बाद बसंती ने फिर कोई संतान को जन्म नहीं दिया । वे तुझे ही अपना बेटा मानती है।
आज वही वक्त आ गया है – सुरभि ।
फर्ज निभाने का । दर्द के इस रिश्ते को पूर्णता देने का .. और इसे मैं जरूर पूरा करूँगा । शायद यही माँ की भी अंतिम इच्छा थी जिसे वे मुझसे कह नही पाई और विदा हो गईं ।
बहते आंसुओं के बीच रमेश ने सुरभि से बस इतना ही कहा – किसी के लिए भले ही यह रिश्ता अबूझ हो पर बसंती मौसी के लिए तो जीवन भर मुझसे  ” दर्द का ही रिश्ता ” रहा ।
हाँ .. मैने उन्हें जीवन भर ममता से वंचित होने का दर्द ही तो दिया – यह कहते हुए रमेश की आँखे फिर भर आई और उसने कार की गति तेज कर दी ।
    #देवेन्द्र सोनी , इटारसी।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बाक़ी है

Tue Jul 24 , 2018
बहुत जखम  सह लिए मगर निशान अब भी बाक़ी है, लाख दिए हैं इम्तहान  पर अंजाम अब भी बाक़ी है. गिराते रहे तुम सितम की बिजलियाँ  हर  मोड़ पर, मगर इस सफ़र की मंजिल अब भी बाकी हैं. रूहों को मिलाने की करते रहे  नाकाम कोशिश, फरेबी चेहरो पर झूठ के नकाब अब भी बाक़ी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।