बेटियों को समर्पित एक रचना(एक प्रयास)
एक पिता अपनी बेटी का मार्गदर्शन करता है—
कूद पड़ दुनिया की दरिया में तू ,
मत सोच क्या-क्या करना होगा ।
निकलेगी तू खुद को तरास कर ,
लहरों की थपेड़ों को भी तुझे सहना होगा ।। 1 ।।
फत्तियाँ कसने दे कुछ लोगों को ,
क्षण भर के लिए तुझे कान बंद करना होगा ।
मत देख उनके छिछोरेपन को ,
अपनी राह पर ही आगे बढ़ना होगा ।।2।।
कहने को तो सभी सम्मान करते है तेरी,
पर अपनों से भी तुझे संभल के रहना होगा ।
मत लेना कभी सहारा हैवानों का ,
अन्यथा बाद में तुम्हें कीमत अदा करना होगा ।।3।।
फौलाद बनाना है खुद को अगर ,
तो आग में भी तुमको तपना होगा ।
छुपा -छुपा के कमजोर बना डालेंगे सब,
या फिर तुम्हें बंधन से बाहर निकलना होगा ।।4।।
नाम-पारस नाथ जायसवाल
साहित्यिक उपनाम – सरलपिता-स्व0 श्री चंदेलेमाता -स्व0 श्रीमती सरस्वतीवर्तमान व स्थाई पता-ग्राम – सोहाँसराज्य – उत्तर प्रदेशशिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी ,बीएड।कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।अन्य उपलब्धियां – समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘ में कुछ कविताएं प्रकाशित ।लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन ।