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आओ अपना अभिनय करें
अपना अपना पार्ट अदा करें
कोई किस भेष में कोई किस
हम रोज नित नए सजा करें
जिंदगी एक रंगमंच है भाई
रोल खत्म तो जिंदगी खत्म
सारे रिश्ते कुछ क्षणों के लिए
लड़ाई झगड़े मन मुटाव देखे
जिंदगी के सुख दुख सहेजते
हम दौड़ रहे भाग रहे भाग रहे
अनन्त यात्रा के राही हम सब
अलग अलग चेहरा लगाए हैं
कभी किसका तो कभी किसका
कभी तेरा तो कभी मेरा कहते
और जिंदगी को पल पल जीते
जिंदगी है तभी तक सब साथ
वरना यहाँ कोई नहीं रहता साथ
धन के पीछे कोई तन के पीछे
ये दुनिया पड़ी है नश्वर के पीछे
आत्मिक सुख की प्रतीति नहीं
अंधी दौड़ जो न होगी खत्म भी
सब कुछ जानता दौड़ रहा नर
रंगमंच का पर्दा गिरा खेल खत्म
यही है जिंदगी का असली अर्थ
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।
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