हम हिंदी भाषी, हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते हैं। हमारी इस भावना का अ-हिन्दीभाषी व्यक्ति या राज्य विरोध करें तो हमें पीड़ा होती है। हमें लगता है कि हिन्दी बहुसंख्यक लोगों की भाषा है इसलिए पूरे देश को उसे राष्ट्रभाषा के रूप में निर्विरोध स्वीकार कर लेना चाहिए। ऐसी […]

मोरिशस में जो हुआ, वह 11 वां विश्व हिंदी सम्मेलन था। वह तीन दिन चला। 18, 19 और 20 अगस्त ! लेकन उसे महत्व कैसा मिला? जैसा कि किसी गांव या छोटे शहर की गोष्ठी-जैसा! क्यों? सरकारी लोग इसका कारण अटलजी को बताते हैं। उनका कहना है कि अटलजी के […]

— डॉ. वेदप्रताप वैदिक मेरे पासपोर्ट पर भारत एक मात्र ऐसा देश है, जिसका छापा उसकी अपनी ज़बान में नहीं है। मैंने क़रीब आधा दर्जन हवाई कंपनियों से विभिन्न देशों की यात्रा की लेकिन उन सब में केवल अपने देश की हवाई कंपनी, एयर इंडिया की विमान परिचारिकाएँ ही एक […]

मेरी शिक्षा मातृभाषा में हुई, इसलिए ऊँचा वैज्ञानिक बन सका – अब्दुल कलाम उच्च तकनीकी क्षेत्र जैसे उपग्रह निर्माण जिसे उच्च तकनीक कहा जाता जो बहुत कठिन एवं क्लिष्ट तकनीक होती है, उसमें आज तक कोई विदेशी कंपनी इस देश में नहीं आई | भारत जिसने १९९५ एक आर्यभट्ट नमक […]

हिन्दी हमारी मातृभाषा है; मात्र एक भाषा नहीं| प्रेरणास्त्रोत अमर बलिदानी श्री राजीव भाई दीक्षित   हमारे आराध्य राजीव भाई दीक्षित के शब्दो में अंग्रेजी भाषा की गुलामी मुझे आपसे भाषा की पराधीनता के विषय पर बात करनी है। अपने भारत देश की आजादी के 63 साल बाद में सबसे बड़ा […]

एक ख़ुशहाल देश की पहचान यही है कि उसमें रहने वाले हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान हो, उसे बुनियादी ज़रूरत की सभी चीज़ें, सभी सुविधाएं मुहैया हों। जब व्यक्ति ख़ुशहाल होगा, तो परिवार ख़ुशहाल होगा, परिवार ख़ुशहाल होगा, तो समाज ख़ुशहाल होगा। एक ख़ुशहाल समाज ही आने वाली पीढ़ियों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।