कॉलेज में कदम रखते ही बिटिया,लगी कि बड़ी हो गई। इस जमाने में वैसे भी बच्ची जल्दी ही समझदार हो जाती है। एक समय था जब संस्कार,शिक्षा,नैतिकता,रिश्तेदारी का सबक परिवार में रोजमर्रा,सहज ही मिल जाता था। अब सबकी कक्षाएं लगती हैl डिप्लोमा-डिग्री से नवाजते हैं। शर्मा जी की बिटिया,अब आधुनिक […]

दो मेधावी छात्र विनय और तेजस पक्के मित्र गुरुकुल में रहते थे। नाम अनुरूप विनय बहुत ही अच्छा और तेजस गुस्सैल बालक था।  विनय चाहता था तेजस भी उसी के जैसा विनयशील बन जाए,इसके लिए विनय ने अपने गुरु रामदास जी का सहारा लिया। गुरु ने दोनों को अपने पास […]

अरे नितिन की माँ देखो,मैंने नितिन व उसकी पत्नी दोनों का बीमा करवा दिया था और ६०००० हजार रुपए भी मैंने भर दिए थे,पर उसने तो पैसे निकालकर पॉलिसी ही खत्म कर दी । अब आपको कैसा दुःख हो रहा है। अगर मैं भी सौम्या का बीमा करवा देती और […]

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मुरारी का सौदा नहीं बैठ रहा था। उसने कहा-‘पटवारी साहब ! मैं १२००० रूपए दिलवा सकता हूं,जिसमें मेरा हिस्सा ४००० रूपए रहेगा।’ मगर,राजू पटवारी नहीं मान रहा था।वह नशे में झूमते हुए कह रहा था-‘रूपए तो २०००० लगेंगे। साहब को भी देना पड़ते हैं’। उसने अपना फरमान सुनाया था कि […]

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गुरूपूर्णिमा का पावन दिन,दरबार में शिष्यों का तांता लगा हुआ है। आज गुरूजी के दर्शन के लिए सुशील अपनी माता जी को भी ले आया। माताजी ने सुशील का हाथ पकड़कर गुरू गादी तक का सफर तय किया। प्रणाम,कर माताजी गुरू का अभिवादन कर बैठी ही थी कि, गुरूजी ने […]

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     रमनसिंह सब्जियां लेकर मुड़ा ही था कि उसने अनायास सामने पड़ गए मिश्र जी से दो-तीन सवाल एक साथ कर डाले-‘कैसे हैं सर ?,प्रैक्टिस  कैसी चल रही है ?,आप यहां कैसे?’ – ‘एकदम ठीक’, मिश्र जी ने पहले सवाल का जवाब देना ही काफ़ी समझा।    ज्ञानसिंह मिश्र […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।