कॉलेज में कदम रखते ही बिटिया,लगी कि बड़ी हो गई। इस जमाने में वैसे भी बच्ची जल्दी ही समझदार हो जाती है। एक समय था जब संस्कार,शिक्षा,नैतिकता,रिश्तेदारी का सबक परिवार में रोजमर्रा,सहज ही मिल जाता था। अब सबकी कक्षाएं लगती हैl डिप्लोमा-डिग्री से नवाजते हैं।
शर्मा जी की बिटिया,अब आधुनिक हो चली,विचार-व्यवहार में भौतिकवादिता नजर आने लगी। एक दिन यकायक शर्मा जी को बिटिया का मोबाईल देखने का काम पड़ा। सम्पर्क सूत्र में पिता का नाम `स्वीट पाइजन`,माँ को `रेड चिली`,चाची जी को `ग्रीन चिली` के नाम से संबोधित किया गया था। जब पिता ने झल्लाकर पूछा कि….-ये क्या है बिटिया,रिश्ते-नाते अचानक जहरीले व तीखे क्यों हो गए। क्या हम इतने बुरे हैं कि,तुमने हमारा नामकरण इस अंदाज में किया। समझ से परे है कि जिन माता-पिता ने जन्म दिया,चाचा-चाची जी ने परिवार के संस्कार दिए,ये सारे रिश्ते-नाते विषैले हो गए। बच्चों को मिर्च की तरह तीखे लगने लगे। शिक्षा से विनयता, विनम्रता आना चाहिए,ताकि रिश्ते सुमधुर हों।
काश!,पढ़ाई के साथ संस्कार भी परोसे जाते तो,आज मोबाईल में परिवारजन के नाम,माताश्री-पिताश्री,काका सा. दादा सा. लिखे होते,तो फिर चाहे बिटिया अनपढ़ भी होती तो आज शर्मा जी को शर्माना नहीं पढ़ता।
#विजयसिंह चौहान
परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि ५ दिसंबर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर हैl आप वर्तमान में इन्दौर(मध्यप्रदेश)में बसे हुए हैंl इन्दौर शहर से ही आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की हैl आपका कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl सामाजिक क्षेत्र में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा व लेख हैl उपलब्धियां यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता में मगन हैंl