सुख दुःख जीवन के पहिये चलते है दोनों साथ साथ धुप छाँव सी गति है उनकी गम कही खुशियों की सौगात दुःख अगर है सुख भी आएगा तमस बाद प्रकाश छाएगा खट्ठा मीठा स्वाद सा जीवन प्रभु याद से हो सन्जीवन व्यर्थ चिंतन तनाव ही देता परमात्म चिंतन शांतिदाता ।#श्रीगोपाल […]

लौटा दे कोई बचपन अब हमारा, उसका एहसान सदा मानेंगे हम।। कागज की किश्ती बनाते थे हम, किश्ती बनाकर उसे तैराते थे हम। डूब जाती थी जब किश्ती हमारी, ताली बजाकर खूब हंसते थे हम।। गरजते थे जब बादल डरते थे हम, डरकर मां की गोद में छिपते थे हम। […]

शून्य में देखता हूं तो शून्य ही नज़र आता है आत्म स्वरूप में झांका तो स्वयं में स्वयं नज़र आता है अन्तःकरण में झांका तो परमात्मा नज़र आता है यानि जैसा हम चाहते है वैसा ही हम देखते है जैसा भी हम चाहते है वैसा ही हम कर सकते है […]

ऑक्सीजन मिलने पर फूला न समाना । रेमडे़सिवीर यानि नभ से तारे तोड़ लाना ।। 18+ वैक्सीन का सलाट बुक होना , गदगद होना । मुँह पर मास्क देखकर वायरस का दो गज दूर होना ।। आत्मनिर्भर होना यानि पैर पर खड़ा होना। वैक्सीन को देख वायरस का नौ दो […]

धन दौलत पर न कर इतना गुमान ये हाथ का मैल है धुल ही जाएगा। न कुछ लाया था न कुछ ले जायगा, यही पर सब कुछ ही रह जाएगा।। बनाये थे जो तूने महल दुम्हले, क्या तू इनको साथ ले जाएगा ? खड़े रहेंगे ये सभी यही पर बन्दे, […]

सुख-दु:ख का सम भाव है बुद्ध… सांसारिक कैद से मुक्ति का मंत्र है बुद्ध… ज्ञान, ध्यान, विचार का सागर है बुद्ध… अपार उतार-चढ़ाव में न डिगे वह नौका है बुद्ध… मोह- माया का संपूर्ण त्याग है बुद्ध… इंसानी इच्छाओं का पूर्ण त्याग है बुद्ध… मानवरूप से देवरूप को प्राप्त हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।