इच्छाओं का बोझ था सर से उतार दिया मैंने एक ही झटके में जीवन को आकार दिया अब इस आकार में सुख शांति बसती है मुरझाई सी हंसी थी अब वो खुलकर हंसती है चाहनाओं का बोझ था सर से उतार दिया मैंने एक ही झटके में जीवन को आकार […]
काव्यभाषा
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घनघोर घटा लिपटी ज्यों जटा अवधूत शोभे, भवभूत हिमालय पांव पखारे , भावार्थ- सेवार्थ भारत मां का सपूत हिमालय रिपु से रक्षा करे महारक्षक जुग-जुग जिए अग्रदूत हिमालय महर्षि मनस्वी, यशस्वी तपस्वी अवधूतों का है अवधूत हिमालय जड़ों में जड़ी जड़ीबूटी जोड़ी-जोड़ी रिद्धि-सिद्धि,समृद्धि अकूत हिमालय दिव्य देवपगा गिरि जनक कनक […]