तेरी याद आई,तेरे जाने के बाद, तुझे ढूंढा मैंने,तुझे जाने के बाद। लौट आओ अपने घर पर जल्द, कभी न लड़ेंगे,तेरे आने के बाद।। जरा सी बात पर घर छोड़ा न करो, हर बात का बतंगड़ बनाया न करो। होती रहती हैं मियां बीबी मे ऐसी बाते, इस तरह से […]

घर की खुली खिडकियों से ना जाने क्यूँ आ जाते हैं ये बिन बुलाये मेहमान कभी उत्सुकता से मुझे देखते हैं तो कभी अपनी व्यस्तताओं में उलझ जाते हैं कभी अपने पंखों को फडफडाते हैं जैसे कर रहे हो अपने पे ही गुमान ना जाने क्यूँ आ जाते हैं ये […]

छाए फिर बादल असाड़ के ,वर्षा ऋतु का हुआ आगमन! मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू संग प्रसन्न हो रहा मेरा मन।। रिमझिम रिमझिम बारिश गिरे सब बीमारी और कष्ट मिटे , गर्मी से जो झुलस गया था उस तन की हर व्याधि हटे ।। जेठ माह के बाद किसान आषाढ़ […]

कौन कहता है बुढ़ापे में, इश्क का सिलसिला नहीं होता। आम तब तक मीठा नहीं होता, जब तक पिलपिला नहीं होता।। कौन कहता है बुढ़ापे में, जवानी कभी नहीं आती। वह कभी बूढ़ा नहीं होता, जब तक परेशानी नहीं आती।। कौन कहता है बुढ़ापे मे, आदमी शादी नहीं कर सकता। […]

वो मोहब्बत में इतने घाव देते रहे। हम उन्हें उनका उपहार समझते रहे। पर हद तो तब हो गई जब मेरे दिये। फूलों को उन्होंने आर्थी पर रख दिये। और जिंदा होते हुये भी वो अपनी। मोहब्बत को मेरी सामने मार दिये। बहुत शौक वो रखती है लोगों के । […]

(१) उद्भव जिनसे हुआ उन्हें ही भूल अधिकतर जाते। ओदे-सूखे खुद रह पाला जिसने उन्हें भुलाते। हुए स्वतंत्र और आये जैसे ही पैसे गल्ला; बिसराकर सब फ़र्ज़ बहुत अपशब्द सुना ठुकराते। (२) ब्याह रचाते ही बहु होते अलग पिता-माता से। स्यात न रखते कुछ भी मतलब ‘दक्ष’ पिता-माता से। खाने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।