दिलकी पीड़ा को नारी भली भाती जानती है। आँखों को आँखों में पढ़ना भी जानती है। इसलिए तो मोहब्बत नारी से शुरू होकर। नारी पर आकर ही समाप्त होती है।। मोहब्बत होती ही कुछ इसी तरह की। जो रात की तन्हाई और सुहाने मौसम में। उसे बैचैन कर देता है […]
काव्यभाषा
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