त्रिशला नंदन बनकर जग में आए, ऐसे हैं महावीर। माता-पिता का मान बढ़ाया, ऐसे हैं महावीर। कर्त्तव्य पथ पर चलने को उद्वेलित करते, ऐसे हैं महावीर। राज-पाट सब छोड़कर मानव सेवा का धर्म निभाया, ऐसे हैं महावीर। अहिंसा परमो धर्म: का पाठ पढ़ाते, ऐसे हैं महावीर। चौबीसवें तीर्थंकर बन कर […]
काव्यभाषा
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