माँ! तुम क्या हो? मेरे ख़ून का एक कतरा और उसकी जान हो। असंख्य दैवीय स्थलों की यात्रा के पश्चात् मिलनेवाला सुभग मुक्तिफल हो। जन्मोजनम के देह की यात्रा के बाद मिलनेवाला चिर सुकून हो दुर्लभ तीर्थ हो। माँ! तुम मेरी पृथ्वी, स्वर्ग और मेरा ब्रह्मांड हो। माँ! तुम केवल […]
काव्यभाषा
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