कविता – सावन

0 0
Read Time2 Minute, 31 Second

झरझराता सावन
भिगोती वो फुहारें
तीज हरियायी
सावनाई इठलाई
सलोनी नीम पुरवाई
घेवर- सिवइयाँ
रेशमी राखियों की रेशमाई
झरझराती पीली निंबोलियाँ
बहुत कुछ समेट लाईं
मेघों पर सवार
मन बावरा उड़ चला
उड़ चला
सुदूर दूर
जहाँ था नन्हा बचपन
माँ का आँचल
और
माँ के आँगन में खेलती नन्ही
वो झालर वाली नीली फ्रॉक
जो माँ ने ही सिली
वो सुख स्वर्ग–सा
जहाँ सोने से दिन
और चांदी–सी रातें

वो आम का बगीचा
औ तोतों का बसेरा
वो निशब्द बावड़ी
घुमावदार सीढ़ियाँ
रसीले जामुनों के लिए
कभी जिसमें उतरे
अतीत को समेटे
भूतों की कहानियाँ बने
वो नि:शब्द बावड़ी के अंधेरे कमरे
पास में बुलाते वो पेड़ बेरी के
मेघों पर सवार
इस राह
मन पहुंच पहुँच गया
प्यारे ‘कृष्ण कुंज’
छू गया
ठंडी हवा का एक झोंका
और द्वार खुल गया
स्वागत में बिछ गए
कोमल श्वेत पुष्प
कुछ उदास
कृष्णप्रिया तुलसी
और ‘कृष्णकुंज’ में
‘कृष्ण- प्रिया’ अकेली
चार बच्चों की माँ अकेली
चार कमरों के बड़े मकान में
रहती अकेली
सरसराई फिर हवा
द्वार सरक गया
सूती कलफ़दार साड़ी में लिपटी
बैठी माँ मुस्कराई
हाथ में
सिलाई और ऊन गुलाबी
दौड़ कर मैं गले लिपट गई
प्रेम कस चला
ऐसा बांध टूटा
सावन बह चला
अवरुद्ध हुआ कंठ
माँ! माँ!
स्वर कहीं घुट–सा गया
फिर चुप्प -सन्नाटा पसर गया
ऊन-सिलाई निश्चल एकाकी
खिन्न पड़ी थी
बावला मन
हाथ में संसार थामे
भ्रमित उंगलियाँ
925xxxxxxx पर झट नाच गईं
“द नंबर यू आर डायलिंग
इज़ … एरिया।”
पीड़ा ! टीस !
माँ ‘आउट ऑफ़ कवरेज’ हो गईं
जीवन का कटु यथार्थ
सावन फिर बह चला
नि:शब्द !
नि:शब्द !
मेघों को दूत बना
क्या भेजूं मैं संदेशा
माँ ! माँ!
तभी दूर नभ में
दामिनी दमकी
और
फिर खो गई।

#यशोधरा भटनागर
देवास, मध्यप्रदेश

matruadmin

Next Post

कविता - सावन (विधा - मत्तगयन्द सवैया)

Sat Jul 15 , 2023
सावन भू तल मेघ गिरे जल, दृश्य अलौकिक नैनन आगे। प्यार ढरे वसुधा मधु आँचल, नेह झड़ी धरती रस जागे। श्याम घटा बरसे मन भावन, संग बयार लुभावन भागे। अंबर नेह भरे चित पावन, मुग्ध धरा वधु लज्जित लागे। बुद्धि प्रभा बन देख रही तम, छूट रहा अब तामस ऐसे। […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।