कविता – सावन

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झरझराता सावन
भिगोती वो फुहारें
तीज हरियायी
सावनाई इठलाई
सलोनी नीम पुरवाई
घेवर- सिवइयाँ
रेशमी राखियों की रेशमाई
झरझराती पीली निंबोलियाँ
बहुत कुछ समेट लाईं
मेघों पर सवार
मन बावरा उड़ चला
उड़ चला
सुदूर दूर
जहाँ था नन्हा बचपन
माँ का आँचल
और
माँ के आँगन में खेलती नन्ही
वो झालर वाली नीली फ्रॉक
जो माँ ने ही सिली
वो सुख स्वर्ग–सा
जहाँ सोने से दिन
और चांदी–सी रातें

वो आम का बगीचा
औ तोतों का बसेरा
वो निशब्द बावड़ी
घुमावदार सीढ़ियाँ
रसीले जामुनों के लिए
कभी जिसमें उतरे
अतीत को समेटे
भूतों की कहानियाँ बने
वो नि:शब्द बावड़ी के अंधेरे कमरे
पास में बुलाते वो पेड़ बेरी के
मेघों पर सवार
इस राह
मन पहुंच पहुँच गया
प्यारे ‘कृष्ण कुंज’
छू गया
ठंडी हवा का एक झोंका
और द्वार खुल गया
स्वागत में बिछ गए
कोमल श्वेत पुष्प
कुछ उदास
कृष्णप्रिया तुलसी
और ‘कृष्णकुंज’ में
‘कृष्ण- प्रिया’ अकेली
चार बच्चों की माँ अकेली
चार कमरों के बड़े मकान में
रहती अकेली
सरसराई फिर हवा
द्वार सरक गया
सूती कलफ़दार साड़ी में लिपटी
बैठी माँ मुस्कराई
हाथ में
सिलाई और ऊन गुलाबी
दौड़ कर मैं गले लिपट गई
प्रेम कस चला
ऐसा बांध टूटा
सावन बह चला
अवरुद्ध हुआ कंठ
माँ! माँ!
स्वर कहीं घुट–सा गया
फिर चुप्प -सन्नाटा पसर गया
ऊन-सिलाई निश्चल एकाकी
खिन्न पड़ी थी
बावला मन
हाथ में संसार थामे
भ्रमित उंगलियाँ
925xxxxxxx पर झट नाच गईं
“द नंबर यू आर डायलिंग
इज़ … एरिया।”
पीड़ा ! टीस !
माँ ‘आउट ऑफ़ कवरेज’ हो गईं
जीवन का कटु यथार्थ
सावन फिर बह चला
नि:शब्द !
नि:शब्द !
मेघों को दूत बना
क्या भेजूं मैं संदेशा
माँ ! माँ!
तभी दूर नभ में
दामिनी दमकी
और
फिर खो गई।

#यशोधरा भटनागर
देवास, मध्यप्रदेश

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कविता - सावन (विधा - मत्तगयन्द सवैया)

Sat Jul 15 , 2023
सावन भू तल मेघ गिरे जल, दृश्य अलौकिक नैनन आगे। प्यार ढरे वसुधा मधु आँचल, नेह झड़ी धरती रस जागे। श्याम घटा बरसे मन भावन, संग बयार लुभावन भागे। अंबर नेह भरे चित पावन, मुग्ध धरा वधु लज्जित लागे। बुद्धि प्रभा बन देख रही तम, छूट रहा अब तामस ऐसे। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।