एक पढ़ा-लिखा बेरोजगार युवक, नौकरी ढूंढते-ढूंढते हो गया था परेशान.. जाति में ब़ाहम्ण होने के अभिशाप से था हैरान। नेताओं के निजी स्वार्थ ने जनरल के कोटे को, इतना कम कर दिया कि नौकरी मिलना मुश्किल हो गया था, ब़्राह्मण होने का एक फायदा जरुर हुआ जन्मजात ग्यानी.. बुद्धि में […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
स्पष्ट अभिव्यक्ति जब अपनी हो आशा, सबसे सुलभ,सशक्त,सुन्दर लगे मातृभाषा। गैर भारतीय भाषाएं बहुत ही भरमाएं, शब्द प्रचुर मिले न अभिव्यक्ति लड़खड़ाए । पठन-पाठन, जपन-छापन,अपूर्ण प्रत्याशा, अपनी संस्कृति न मिले, उड़ न सके आशा। किस्से, कहानी, कविता की भाषाएं खान हैं, विज्ञान,प्रौद्योगिकी का न अपना आसमान है। भारतीय प्रतिभाएं ही […]