एक पढ़ा-लिखा बेरोजगार युवक, नौकरी ढूंढते-ढूंढते हो गया था परेशान.. जाति में ब़ाहम्ण होने के अभिशाप से था हैरान। नेताओं के निजी स्वार्थ ने जनरल के कोटे को, इतना कम कर दिया कि नौकरी मिलना मुश्किल हो गया था, ब़्राह्मण होने का एक फायदा जरुर हुआ जन्मजात ग्यानी.. बुद्धि में […]

स्पष्ट अभिव्यक्ति जब अपनी हो आशा, सबसे सुलभ,सशक्त,सुन्दर लगे मातृभाषा। गैर भारतीय भाषाएं बहुत ही भरमाएं, शब्द प्रचुर मिले न अभिव्यक्ति लड़खड़ाए । पठन-पाठन, जपन-छापन,अपूर्ण प्रत्याशा, अपनी संस्कृति न मिले, उड़ न सके आशा। किस्से, कहानी, कविता की भाषाएं खान हैं, विज्ञान,प्रौद्योगिकी का न अपना आसमान है। भारतीय प्रतिभाएं ही […]

आओ बच्चों के बीच मिल-बांचें, कहानी-गीत सुनाकर संग नाचें। बच्चों की प्रतिभा को लाएँ आगे, अपने अनुभवों को मिल-बांटें। धरती के यह जगमगाते तारे, देश का भविष्य बने येे उजियारे। ज्ञान के सारथी बनें हम बंधु सारे, सब पढ़ें-सब बढ़ें आओ मिल-बांचें। हर जन में शिक्षा का सहयोग जागे, जनभागिता […]

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आज फिर रात से,उधार सुकून के लम्हे मांगते हैं… चलो, आज फिर मुक़द्दर सुधारते हैं। कुछ टूटे ख्वाब,कुछ बीमार-सी ये ज़िन्दगी जो है, उम्मीदों के धागे से टूटी सांसों की तार जोड़ते हैं। घुटन-सी है चुभन-सी है अक्सर, ज़िंदगी के रास्तों पर.. बैठें कहीं वीराने में, चंद सांसें उधार मांगते […]

बात-बात पर टीका टिप्पणी लिख देते हो, निडरता तो देखो, हुकूमत के खिलाफ लिख देते हो। भाषाई चमत्कार से वाकिफ है वो, हर मुद्दे को क्यों खाली हाथ लिख देते हो। दिखा दे कोई जख्म सच्चाई के शब्दों में, तुम आज भी जज्बात लिख देते हो। पंछियों की भाषा जानते […]

मुझे प्यार है, खेत से खलिहान से, मेहनती किसान से जो खेतों से उगाकर, देता है अनाज को। मुझे प्यार है, धरती से, धरती.. की शान से जो हर मौसम में सजी रहती है परिधान से। मुझे प्यार है, गरीब मजदूर से , जो ठंड गर्मी बरसात में.. पसीना बहाता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।