अमीर गिन रहा नोट यहाँ, हाथ मले किसान। वीआईपी सोए मखमल पे, किसान बांधे खेत मचान।। रात को जागत दिन को भागत, खेतन करे किलोल। खून पसीना बहा दिया, आखिर नहीं मिले उचित मोल।। सपने लाख सजा लिए, ले फसल गए बजरिया की ओर। दाम मिला कम मिला, फिर भी […]
काव्यभाषा
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