● भावना शर्मा, दिल्ली कविता मानव मन के मनोभावों को शब्दों के मोतियों के रूप में गढ़ने का कार्य है और उन कविताओं का पुस्तकबद्ध हो जाना यानी कि सैंकड़ो मोतियों को एक माला में गूँथकर सुंदर गलकंठिका बनाने जैसा कार्य है। निश्चित तौर पर जैसे यह गलकंठिका रूपसी के […]