पाठकों के मनोकुल होनी चाहिए रचनाधर्मिता – संपत सरल

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इन्दौर प्रेस क्लब द्वारा गणतंत्र दिवस पर कवि संपत सरल के साथ अनौपचारिक चर्चा

इंदौर। राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंदौर प्रेस क्लब में गुरुवार को विशेष रूप से आमन्त्रित ख्यात राष्ट्रीय कवि संपत सरल ने रचनाधर्मिता को पाठकों के पाले की गेंद बताते हुए कहा कि ‘हमेशा पाठकों के मिज़ाज़ को भांप कर कविता या रचनापाठ करना चाहिए, पाठकों को पसंद आएगा, वह पढ़ेंगे तो मंचीय कवि अधिक सफल रहेंगे।

जो ख़ुद आत्महत्या कर रहा हो, उसका मर्डर क्यों करना- संपत सरल

उन्होंने व्यंग्यात्मक रूप से नए रचनाकार जो अन्य लोगों की रचनाओं को पढ़ देते है उनके बारे में कहा कि जो रचनाकार दूसरों की रचनाएं पढ़कर ख़ुद आत्महत्या करने पर आमादा है उसे रोककर उसका मर्डर नहीं किया जाता। जो अन्य रचनाकारों की रचनाओं को मंचों पर खुद के नाम से पढ़ते है, दरअसल वह स्वयं के सृजन को मार रहे है। कवि सरल जी ने अपने हास्य व्यंग्य की शैली में उपस्थित मीडिया के साथियों से गणतंत्र और मीडिया के साथ ही साहित्य पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज अखबारों से साहित्य को पहले जैसा स्थान नहीं मिल पा रहा है। पहले साहित्य से संबंधित कई पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी, अखबारों में विशेष परिशिष्ट रहते थे, जिनमें साहित्यकारों और कवियों को की रचनाओं को पर्याप्त स्थान मिल जाता था, लेकिन आज के समय इसका आभाव है।
इस अवसर इंदौर प्रेस क्लब के यशस्वी अध्यक्ष अरविंद तिवारी, उपाध्यक्ष दीपक कर्दम, प्रदीप जोशी, महासचिव हेमंत शर्मा, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, सचिव अभिषेक मिश्रा, कार्यकारणी सदस्य प्रवीण बरनाले, अभय तिवारी, राहुल वाविकर सहित वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश रेखे, नवीन जैन, जय सिंह रघुवंशी जी, इस्माइल लहरी जी, शैलेश पाठक, मुकेश तिवारी, डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, खलील खान, मार्टिन पिंटो, लोकेंद्र थनवार, प्रवीण जोशी, रोहित त्रिवेदी, आदि पत्रकार साथी मौजूद रहे। प्रेस कार्यकारिणी द्वारा श्री सरल को प्रेस क्लब दिखाया और कई नवाचारों के बारे में अवगत करवाया।

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