मुझे याद है.. बचपन के वो दिन, कागज की कश्ती बनाकर पानी में तैराना, बरसात के दिनों में उमड़ते-घुमड़ते बादलों के बीच कल्पना के घोड़े दौड़ाना, मनचाहे चरित्रों को तलाशना, हाँ मुझे याद है। मुझे याद है.. फर्श पर पानी का फैलाना, छप-छप करना, माँ का गुस्सा,दादी का प्यार बहन […]

  केवल तू  ही  तू कान्हा, दूजी  न आरजू  कान्हा। पूजा करता हूँ तुम्हें बड़े अरमान के साथ, ख्वाहिशें पालता हूँ बड़े अभिमान के साथ। देखो मुझसे कभी तुम भी रूठ जाना नहीं, सोचता हूँ तुम्हें ही निर्दयी सम्मान के साथ॥ ख्वाहिशें पाने की तुम्हें पूरी करो न करो पर, […]

  जिन्दगी नहीं है किसी पतंग से कम, आकर उड़ा लो अगर हो दम-खम। आओ पतंग से जिन्दगी के फलसफे को समझते हैं, बताते हैं उन्हें इसकी रंगत जो इसे बकवास समझते हैं। पतंग में भी होती है जातियां-नर और मादा, ढग्गा या ढांच पाता है पुरूषों-सा मान ज्यादा। तुक्कल […]

मन में पवित्र सोच रखो और दिल के भाव पवित्र रखो, जाति , धर्म के भेदभाव से तुम – सब सदा ही दूर रहो। छोटा कोई नहीं होता और न ही बड़ा कोई होता है, माँ के गर्भ से बाहर आकर तो हर बच्चा ही रोता है। ऊँच-नीच की सोच […]

  फिल्म समीक्षा ‘गौतमी पुत्र शतकर्णी’ फिल्म अखण्ड भारत की कल्पना को साकार करती तेलगु फ़िल्म है,जो हिन्दी में डब होकर आई है। आप सोच रहे होंगे कि,हॉलीवुड से बॉलीवुड तक पढ़ा जा सकता है लेकिन टॉलीवुड भी,इसकी वजह है इंदौर के कलाकार और शूटिंग लोकेशन महेश्वर होना। इस तेलगु […]

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(प्रेमचंद जयंती पर विशेष) प्रेमचंद के पुनर्पाठ की आवश्यकता आज के संदर्भों में की जानी चाहिए;ये बात सही है,लेकिन आज की स्थितियाँ बहुत से क्षेत्र में मानवीय और भौतिक विकास करने की सोच की दिशा और प्रयत्नों में बदल चुकी हैं। आज पहले से भी अधिक कारगर शोषण के हथियार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।