कहते हैं घर की बुनियाद अच्छी हो तो छोटे मोटे तूफान थाम लेते हैं। घर का अगर एक सशक्त बीम हो तो बाकियों को भी सशक्त और आर्दश के साथ रहना सिखाती है। इस महामारी काल में देश के चार स्तम्भों में से एक हमारी संवैधानिक व्यवस्था इन दिनों एक […]

व्यर्थ चिंतन को छोड़कर कर लो कुछ उपकार संकट में घिरे है जो जन मोचक बन करो परोपकार पीड़ित सेवा परमात्म सेवा यही सुख आधार बनेगी रोते हुओ को हंसाने का यही जीवन आधार बनेगी स्वयं बदलो जग बदलेगा यह धारणा खूब जमेगी कांटे से फूल बनाने की यह युक्ति […]

रोते को अब हँसाने की बात करो उजड़े घर को बसाने की बात करो मीनारें जगमगा उठे भरे रोशनी से आशियाने जरा सजाने की बात करो कायम रहे इंसानियत मिला लो दिल जो रूठ गए उसे मनाने की बात करो छोड़ गए गाँव चले गए मीलों जो दूर वापस उन्हें […]

डर एक जन्मजात किन्तु नकारात्मक संवेग है। भय व्यक्ति को खतरों के प्रति सजग रहते हुए प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार करता है। भय से व्यक्ति में शारीरिक परिवर्तन होते हैं जो उन्हें सतर्कता के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। जब कोई लंबे समय तक भय […]

सिक्कों की खनक पर सोने की चमक पर बांट दिए हैं हमने अपनी खुशियों और गमों के तराने। जमीन को ना जाने कितने कदमों में नापकर उसको भी कई नामदार से टुकड़ों में बांट दिया है हमने। अभिव्यक्ति और संवेदनाओं को अवसरवादिता का मुखौटा पहना दिया है हमारे विकसित होते […]

सागर से भी गहरा है हमारा आपका रिश्ता। आसमान से भी ऊंचा है हमारा आपका का रिश्ता। मैं दुआ करता हूँ ईश्वर से, की ऐसा ही बना रहे ये रिश्ता।। समर्पण का दूसरा भाव हैं आपका हमारा रिश्ता। विश्वास की अनूठी गाथा हैं लेखक पाठक का रिश्ता। स्नेह प्यार की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।