नारंग साहब के घर कन्या भोज चल रहा था। छोटी-छोटी कन्याओं को प्रेमपूर्वक भोजन करवाकर उनके पैर पूजे जा रहे थे। तभी मैं भी अपनी बेटियों के साथ वहाँ पहुंची। सभी बच्चियाँ खाने मे मशगूल थी। नारंग जी की बड़ी बहू खाना परोस रही थी। मैंने श्रीमती नारंग से पूछा-आज […]