किसी से वो कभी मिलता नहीं है, मुहब्बत को अभी समझा नहीं है। मुझे देखे हिकारत की नजर से, कि जैसे प्यार का रिश्ता नहीं है। सुख़नवर बन गया उसके लिए मैं, मगर इक शेर भी भाया नहीं है। रहेगी यार मेरी आरजू ये, तुझे पाए बिना जीना नहीं है। […]
चैत्र में पड़े समय के नव-चरन। प्रत्युष बेला में मेरा शत-शत नमन।। चौकड़ी भरता चलता रश्मि-रथी। नित नव चमक रहती प्रभात के क्षण।। यंत्रवत पथ के कारज करता चलता। संवत्सर सृष्टि चक्र का अनूप प्रबन्धन।। आर्य संस्कृति की ध्वजा तले तपोनिष्ठ। श्रेष्ठ वृत्ति,विमल कीर्ति का हो वरण।। #विवेकानन्द बिल्लौरे (व्ही.एन.बी) […]