पलकों के पट भिड़ जाने से, निंदिया नहीं आया करती है। ख्वाबों में प्रियतम आए फिर, बिंदिया शरमाया करती है।। रात-रात इक द्वन्द है चलता, चद्दर,तकिया सब रूठे रहते। रुक-रुक नयनों से वर्षा होती, कुछ सपने बिखरे टूटे रहते।। कभी खजुराहो मूरत सजती, कभी प्रेमालाप चलता रहता है। कभी-कभी गजरे […]