पलकों के पट भिड़ जाने से, निंदिया नहीं आया करती है। ख्वाबों में प्रियतम आए फिर, बिंदिया शरमाया करती है।। रात-रात इक द्वन्द है चलता, चद्दर,तकिया सब रूठे रहते। रुक-रुक नयनों से वर्षा होती, कुछ सपने बिखरे टूटे रहते।। कभी खजुराहो मूरत सजती, कभी प्रेमालाप चलता रहता है। कभी-कभी गजरे […]

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तुमसे क्यों इतनी नजदीकियां हैं, नहीं जानती..। नहीं जानती, क्यों तुम अच्छे और अच्छे लगते हो..। पता नहीं, ये भी कि कितना, चाहती हूँ.. मगर जबसे मिली हूँ तुमसे, बस तुम्हारी तुम्हारी ही खुशियों की खुदा से दुआ मांगती हूँ। शायद कभी में न रहूँ, मगर तुम्हारे भीतर रहूंगी। जब […]

वारिसें और सघन और सघन होती हैं, एक दर्द-सा वो दिल में जगा देती हैं। मैं अनजान था प्यार से,था न वाकिफ, तेरी तस्वीर मगर आग लगा देती है। बूँदों के गिरने से पर्वतों का क्या बिगड़ा, रहते खामोश हैं,जब-जब वो दगा देती है। अनजान लड़के जो घूमते हैं गलियों […]

तुमको जाना दूर बहुत है, पर मेरी तो रात यहीं है। तुम क्या जानो, हमने कितने झंझा के पँखों को नोंचा चक्रवात में.. फंसकर हमने खुद पर कैसे, मौन उलीचा। तेरा मन तो क्रूर बहुत है, झर-झर गिरते पात यहीं है।। दोपहरी में, खिला फूल-सा झंझावात में उड़ी धूल#सा, लहरों […]

माँ भाई के साथ छोड़कर, मुझको चली गई थी। कुछ दिन के ही बाद खबर थी, बेबस छली गई थी।। बीमारी ने ऐसा जकड़ा, भूल गई वो सबको। खबर अचानक चलकर आई, और मिल गई मुझको।। बहुत विवश हो दृग प्रपात झर, जोर प्यार ने मारा। माँ दर्शन को तड़प […]

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लुट गई है पूरी बस्ती, बस मिट रही है हस्ती। अब आया एक मसीहा, आगम की उसमें मस्ती।। बढ़ता ही जा रहा है, सच को जिता रहा है। जिनवर का है दीवाना, राग-द्वेष नशा रहा है।। अब है समझ में आया, कुछ भी न मैंने पाया। शिवमग मिला उसी को, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।