आज के इस युग में हिन्दी का सोशल मीडिया प्रचार में अहम योगदान है,आज सोशल मीडिया के सहारे हिंदी का बहुमुखी विकास हो रहा है. सोशल मीडिया आज आदमी को पूरी दुनिया से जोड़ते हैं, तो यह हिन्दी भाषा के माध्यम से ही संभव है. देसी ही नहीं, विदेशी चैनलों […]

कभी तुमसे कह देंगे, कभी मुस्कुरा देंगे।। कभी तुम अगर रूठे, तो हम माना लेंगे।। पर सुनो..याद तुम रखना, इस प्यार को हम मौन ना होने देंगे।। तुम्हे दिल मे रखेंगे, धड़कन बना लेंगे ।। तेरी साँस पे अपना, जीवन सजा लेंगे ।। पर सुनो.. हम कभी तुमको, खुद से […]

तेरा चेहरा फूलों की तरह है मेरे लिए । तुम कभी ना मुरझाना मेरे लिए ।। ये वक़्त भी कट जाएगा में हूँ सदा तेरे लिए । तेरे साथ चलूँगा सदा हाथ में हाँथ लिए।। थामा है दामन तेरा मैंने जीने के लिए। मत छोड़ना अकेला मुझे मरने के लिए […]

मुझे अकेला मत छोड़ना ना प्रिये । कहाँ जाऊँगा मैं तुम बिन प्रिये ।। बैठूँ मैं तेरे काँधे पर सर रखकर प्रिये । कहाँ मिलेगा ऐसा आराम मुझे तुम बिन प्रिये ।। हाथों में हाथ सदा ऐसे ही थामे रखना प्रिये । नहीं तो रास्ता भटकना तह हैं तुम बिन […]

साथ निभाना, दिल मत जलाना न आजमाना। एक किताब, महकता गुलाब सजाए ख्वाब। कैसी महक, फैली दूर तलक जैसे फलक। नेक विचार, सुधरता आचार सुखी संसार। संत सत्कार, हो सपने साकार खुशी अपार। बूढ़े लाचार, नित करे पुकार मत दुत्कार। भ्रम जलते, हृदय से मिलते फूल खिलते।       […]

दुःखी  धरा  की जनता  सारी। अब  तो  आओ  कृष्ण मुरारी॥ झूठ  खूब  फल-फूल  रहा  है। सच   फंदे   पे    झूल रहा  है॥ पशु   समान    इंसान   हुए  हैं। डगमग   अब   ईमान   हुए  हैं॥ असत्य   सत्य  पे   हुआ  भारी। अब  तो  आओ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।