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साथ निभाना,
दिल मत जलाना
न आजमाना।
एक किताब,
महकता गुलाब
सजाए ख्वाब।
कैसी महक,
फैली दूर तलक
जैसे फलक।
नेक विचार,
सुधरता आचार
सुखी संसार।
संत सत्कार,
हो सपने साकार
खुशी अपार।
बूढ़े लाचार,
नित करे पुकार
मत दुत्कार।
भ्रम जलते,
हृदय से मिलते
फूल खिलते।
#वेदप्रकाश प्रजापति
परिचय : वेदप्रकाश प्रजापति उत्तरप्रदेश के इहालाबाद जिले के रिठैइयां गांव से हैं। १९८४ में संसार में आए वेदप्रकाश को पिता के शिक्षक, साहित्यकार व समाजसेवी(मृत्यु २००२)होने से लेखन विरासत में मिला है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)है। साहित्यिक लेखन कार्य में २००८ से विभिन्न विधाओं में लगे हुए हैं। पेशे से सरकारी (विद्यालय)कर्मचारी हैं,जबकि पत्रकारिता तथा समाजसेवा भी करते हैं।
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Wed Oct 4 , 2017
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