डगर-सी है जिंदगी बस चलते रहो, कभी अकेले कभी साथियों का साथ, पर अधिकतर अकेले जहां साँझ हुई वहां विश्राम। फिर से चल निकलना है एक नई किरण के साथ, बस चलते रहो॥ कभी अपनों से लड़ना होता कभी परायों से, पर खुद से जयादा लड़ना होता है जहां थक […]

इस जगत में सबसे ऊँचा दर्ज़ा है तेरा…… बच्चे के रूप में जन्म देकर, ये संसार दिखाया तुमने। जब हम चलने के काबिल हुए तो, ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया तुमने। बचपन गुजरा तेरी ममता की छाँव में, जैसे कि, धरा पर स्वर्ग दिखाया तुमने। जन्नत है तेरे चरणों में, नारी […]

न पीरों को पूजूं, न देवों को, बस तिरंगे का पुजारी हूँ। भारत की आन-बान-शान है, वर्षों की गुलामी की दास्तान है। खून से सींची वीर शहीदों ने, भारत भूमि की पहचान है। कण-कण में बसा एक ही नाम, तीन रंग के तिरंगे तुझे सलाम। रंग केसरिया त्याग बलिदान वीरता […]

अंतिम भाग….. अचेत होकर गिर गई, काफी देर तक होश में लाने की कोशिश की,पर बेहोश थीl जब होश आया तो अपने आपको अस्पताल में पाया l आँख खुलते ही सिर्फ एक नाम जुबाँ पर आया…. -राजीव…राजीव कहाँ है ? -गांव से उनके घरवाले आए थेl उनको साथ लेकर चले […]

(भाग २) हंगामा हो गया,जब सरला के पिताजी सरला को हाथ पकड़कर बाजार से घर ले आए। आँखों में गुस्से की पिचकारी छूट रही थी। गाली-गलोच..मारपीट पर उतर आए,बीच-बचाव में उनकी माँ आई तो उनको भी थप्पड़ जड़ दिए। ऐसा लग रहा था कि, शर्मा जी आपा खा चुके थे। […]

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भाग १…. महाविद्यालय की छुट्टियां हो चुकी थी, इस बार कहीं घूमने जाने का कोई कार्यक्रम नहीं बनाया,इसलिए ख़ाली समय ज्यादातर सोशल मीडिया पर बिताया करती थी। बहुत दोस्त बने, पर राजीव नाम का लड़का मुझे रोज संदेश भेजा करता था ,जो अपने आपको बनारस का बता रहा था। हमारी […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।