साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों का बोलबाला न हो तो वह नीरस सा हो जाता है | जी हाँ मैं आँचलिक भाषा के महत्व व विकास की ओर आप सभी का ध्यानाकर्षण चाहूँगा | मेरे पुरोधा आ० शिवपूजन सहाय जी ने पहली बार देहाती दुनिया लिख कर आँचलिक उपन्यासकारों की कतार […]

होली का त्यौहार है आया, खुशी हजारों रंगों में। प्यार से होली खेलेंगे ना, शामिल होना दंगो में। मदिरा सेवन करें नही हम,सादा खाना खाना है। द्वेष बैर ना दिल मे अपने,सबको गले लगाना है।। प्रेम के हम पैगामी हमको,पड़ना ना भई पंगो में। प्यार से होली खेलेंगे ना,,,,,,,,,,,,, घर […]

  बाबुल मै तेरे बागों की लाडली मैंना थी फुदक-फुदक कर इधर-उधर डोला करती थी दाना-दुनका जो भी दे देता था उसे मै चुपचाप चुग लिया करती थी। पर तुझसे उठाया न गया मेरा नन्हा सा बोझ और तूने पाली मुक्ति मुझे सैयादों को सौप यहां मुझे पिंजरें मै बंद […]

नीले चादर तले हरियाली है छाई , देखो बूंदे भी घर से बाहर हो आई , बूंदे बहती गयी हवाओं तले , सूरज जी भी बादल में छिप बोले , ये कैसा जुनुन छाया है , मोर भी नाचने को आया है , आसमाँ के कोरे कागज पर , क्यों […]

डसता है तन्हाई का विसियर , शर्दी वाला मौसम है। पति को छुट्टी कम मिल पाती , पति फौज में एस एम हैं।। पिछले महीने कहा था मुझसे , अगले महीने आऊंगा । आज फोन कर  बोले मुझसे  , अब ना मैं आ पाउँगा ।। निरीक्षण  साहब का जल्दी होना, […]

मूक बने हैं हिन्दू सारे,हिम्मत ना हथियार रहा। दर्द की सीमा पर हुई ,दिल में दर्द अपार रहा॥ अब मुझको तू माँ ना कहना, तू रिश्ते से बाहर रहा। दूध पिया बिन मोल ही मेरा,हिन्दू तू कर्जदार रहा॥ बेच दिया तूने क्यूँ मुझको,टुकड़ों में बंटवाने को। निर्मोही इन जल्लादों के,हाथों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।