माँ की वेदना

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kuldeep khadana

मूक बने हैं हिन्दू सारे,हिम्मत ना हथियार रहा।

दर्द की सीमा पर हुई ,दिल में दर्द अपार रहा॥

अब मुझको तू माँ ना कहना, तू रिश्ते से बाहर रहा।

दूध पिया बिन मोल ही मेरा,हिन्दू तू कर्जदार रहा॥

बेच दिया तूने क्यूँ मुझको,टुकड़ों में बंटवाने को।

निर्मोही इन जल्लादों के,हाथों से कटवाने को॥

#कुलदीप खदाना

परिचय : कुलदीप खदाना पेशे से फौजी हैं। इनके पिता-बांके सिंह भी फौजी(अब स्व.)रहे हैं। इनकी जन्म तारीख-२-फरवरी-१९८७ और जन्म स्थान-बुलन्दशहर है। वर्तमान पता-पोस्ट-खदाना,जिला-बुलन्दशहर(उत्तर प्रदेश) है।बी.ए. तक शिक्षित श्री खदाना का कार्यक्षेत्र-पैरा मिलिट्री (एसएसबी)है। आपके लेखन का उद्देश्य-शौक ही है।

 

 

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