Read Time42 Second
नीले चादर तले हरियाली है छाई ,
देखो बूंदे भी घर से बाहर हो आई ,
बूंदे बहती गयी हवाओं तले ,
सूरज जी भी बादल में छिप बोले ,
ये कैसा जुनुन छाया है ,
मोर भी नाचने को आया है ,
आसमाँ के कोरे कागज पर , क्यों हर दास्तान लिखते है ,
न जाने क्यों , हर दास्तान यादों में रहते है ,
कितने ही दास्तान लिखे होंगे , आसमाँ के कोरे कागज पर ,
कुछ पूरे दिखे होंगे , कुछ अधूरे रखे होंगे ,
पर दास्तान तो , हर किसी के लिखे होंगे ।।।
#खुशबू कुमारी
Post Views:
612