मनमीत तुम हो अब गीत बने, विरही मन में संगीत बने। हर विटप शाख हर डाली पर, कूकती मधु रस मतवाली पर। हुए तरू पल्लव स्निग्ध नवल, है तुर्श महक लिए आम्र बौर। अल्हड़ मारूत चल फागुन का, कम्पित करता आँचल का ठौर। दूर तुमसे हुए कई मास हुए, हूँ […]

कलियों  पर  शबाब  है, क्योंकि तेरी सूरत गुलाब है। सपनों ढूंढो कोई और नज़र, वो आए नज़र तो खाब  है। मस्त निगाहें शोखी तेरी, क्या खूब भरी शराब है। मैं यूँ  ही रौशनी ढूंढ रहा, देखा तुझे तो बेनकाब है। बिजली गिरी ज़िगर पर, यूं चमकी  बेहिसाब है। तू तो […]

धनी तुम तब भी रहते धन तुम्हारा कम नहीं होता, मैं कहता ही नहीं तुमसे जो तुममें दम नहीं होता। निवेदन पर हमारे पात्र में कुछ डाल देते तो, हमारी बात रह जाती हमें भी गम नहीं होता॥                         […]

वन अशोक में ऋतु बसन्त यूँ , बारह मासों रहता था। मध्य भाग में नीलवर्णी जल, तिरछा टेढ़ा बहता था॥ एक लक्ष अशोक वृक्ष से, घिरा हुआ वह कानन था। कमनीय लता से आच्छादित वहाँ, सघन स्वच्छ इक कुंजन था॥ कोकिल,शुक,सारिका,मयूरः, चक्रवाक ,सारस ,हंसा। जलक्रीड़ा,कलरव, विहार, करते तड़ागों में निःसंसा॥ […]

  नील सरोरुह बीच खड़ी। मणि,मुक्ता,माणिक की सी लड़ी॥ दीप्त वर्ण सुवर्ण चरी। नव कली भांति आभा निखरी॥ पुष्पभारनमिता कमणी। सद्यः स्नाता कमसिन रमणी॥ जब केशराशि लहराती है। ऐसा आभास कराती है॥ ज्यों नील गगन से श्यामा बदली। मानो बूंदें बरसाती है॥                 […]

ज़िम्मेदारी नहीं अभी, अपनी बारी नहीं अभी। जैसे-तैसे जीत गए, वैसी पारी नहीं अभी। वक़्त नींद का हुआ भले, पलकें भारी नहीं अभी। अगल-बगल ही प्यादे हैं, मात हमारी नहीं अभी। थोड़ा वक़्त कठिन है बस, पर लाचारी नहीं अभी।   #प्रदीप कान्त परिचय : इंदौर में केट कालोनी निवासी […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।