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कलियों पर शबाब है,
क्योंकि तेरी सूरत गुलाब है।
सपनों ढूंढो कोई और नज़र,
वो आए नज़र तो खाब है।
मस्त निगाहें शोखी तेरी,
क्या खूब भरी शराब है।
मैं यूँ ही रौशनी ढूंढ रहा,
देखा तुझे तो बेनकाब है।
बिजली गिरी ज़िगर पर,
यूं चमकी बेहिसाब है।
तू तो है ही लाजवाब ‘चंद्रेश’
पर मेरा नहीं जवाब है।
#चन्द्रकान्ता सिवाल ‘चन्द्रेश’
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