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शारदे माँ तारदे माँ,जीवन संवार दे माँ,
लेखनी से मेरी माता,देश का विकास हो।
गीत लिखूँ जीत के माँ,हँसी-खुशी,प्रीत के माँ,
धरती अकाश झूमे,जब मधुमास हो।
न रहे गरीब कोई,न बेरोजगार रहे,
अंधियारा मिटे और ज्ञान का प्रकाश हो।
जाति-पाती बन्धनों में बंधा न ये देश रहे,
सबके दिलों में माता भारती का वास हो॥
#जयेन्द्र कौशिक ‘जय’
परिचय: जयेन्द्र कौशिक ‘जय’ नाम से जाने जाते हैं। आपका निवास सकर्रा तहसील मालखरौदा (जिला- जांजगीर चाम्पा, छत्तीसगढ़) में है। वर्तमान में बिलासपुर में अध्ययनरत होकर अभियंता की पढ़ाई पूर्ण की है। लिखना आपका शौक है। आप यहाँ की कुछ साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।
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