कितनी हंसी ठिठोली में दिन बीता है होली में पड़ गये गिरधर ग्वाल अकेले राधा की हमजोली में सारा रा रा शामिल अब है तेरी मेरी बोली है उसने जो पिचकारी मारी रख ली हमने चोली में मीरा हो गई घायल -घायल मेरे कान्ह की गोली में भाग न पाई […]

हम मेहनतकश मजदूरों से जब कोई लुक्मा छीनेगा हो जितने ऊंचे आसन पर वो अपना ओहदा छीनेगा वह जमा हुआ जो आसन है जो सत्ता और सिंहासन है जो केवल थोता भाषण है जो रोके रस्ता शासन है हम बढे चलेंगे दिल्ली तक क्या मेरा रास्ता छीनेगा यह बेघर करने […]

जब हम बिल्कुल छोटे थे नहीं ज़रा भी मोटे थे करते थे सब प्यार मुझे देखते सौ -सौ बार मुझे मम्मी दूध पिलाती थीं नानी कपड़े लाती थीं पापा सब कुछ लाते थे झूले हमें झुलाते थे फिर जब कुछ हम बड़े हुए धीरे -धीरे खड़े हुए लगे बोलने बातें […]

डा प्रभात कुमार प्रभाकर नई नस्ल के हिन्दी के ऊर्जावान लेखक  हैं. इस बात का अंदाज़ा इसी से लग जाता है कि इस नये साल में ही अज्ञेय पर उनकी दूसरी और कुल चौथी पुस्तक है. अज्ञेय विचार और विमर्श डा प्रभात कुमार प्रभाकर, और डा सत्यदेव प्रसाद के सन्युक्त सम्पादन […]

सुनो  ज़रा इक बात कबूतर तुम रहते थे छत के     ऊपर मगर नज़र न अब आते   हो चले कहां तुम फिर जाते   हो कहा कबूतर सुन मेरे      भाई तुमने ही ये       आफत    लाई दिये काट   जंगल   को     सारे यही पेड़ थे      मेरे        सहारे नहीं दूर    तक   मिलता  पानी आग उगलती    […]

-जियाउर रहमान जाफ़री सबकी देखो यही कहानी सब कहते हैं  पानी -पानी है ये तो बरसात का मौसम बारिश वाली रात का मौसम माना बिजली चमक रही है बूंद एक न टपक रही      है बादल भी आकाश पे  छाता लेकिन फ़ौरन ही छट   जाता सूख रहे हैं        नदियाँ -नाले बहुत […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।