क्यों नहीं समझ रहे हो मानव मेरी अजाब को, आँचल फैला के माँग रही हूँ आफताब को। क्यों सोच रहा है मानव की हम अग्यार है, इस्तिफाक से नाजिश कर तोड़ दिया साथ को।। क्या मिला तुम्हे हमे अख्ज कर के ज़माने  में, कल्ब तोड़ के गिरिया हम मानव नाफहम। […]

दाग सीने में गोलियां,सब सहन कर सकता हूँ, भारत माँ का बेटा हूँ,सब सहन कर सकता हूँl भारत माँ सब कुछ है मेरी,दुश्मन मिटाने निकला हूँ, सोना पड़े भले बर्फ में,सब सहन कर सकता हूँl भारत माँ का बेटा हूँ,निकल पड़ा अकेला हूँ, माँ का आशीर्वाद है,सब सहन कर सकता […]

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सात फेरे सात वचन, शुरू हुआ विवाह बंधन, रस्मो-रिवाज का ये संगम। खत्म हुई आजादी मिट गया स्वतन्त्र अधिकार, जाने कैसे ,किन बेड़ी में बंध गया घर परिवार। विवाह है बंधन प्रीत का, न कि कैद का। सोचो,समझो रीत को, दो जीने की आजादी अपने मीत को। बंधे हो प्रीत […]

मैं किसान के गीत लिखूंगा अपने मन की पीड़ा से, जिनके शब्द शारदे देती अपनी पावन वीणा सेl पवित्र पावन शब्दों का अपमान नहीं कर सकता मैं, छोड़ किसानों को,सत्ता का गान नहीं कर सकता मैंll  मेरी कलम नहीं झुक सकती राजाओं के वंदन में,            […]

सुन सजन, तुझसे कुछ कहना है। दूर बिन तेरे,  न एक पल रहना है। खुश हूं बहुत, तुझे पाकरll    जन्नत मिल गई,  जबसे तेरा प्यार मिला। जाने कितने जन्मों से, बिछड़ा मेरा यार मिलाll    होती होंगी ये ही, सपनों की दुनिया। जैसे मुझे तू, आज मिलाll    रहना […]

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दीवाली खुशियों का त्योहार है, चलो सब मिल दीप जलाओl गरीब कुम्हार के घर में भी, थोड़ी-सी खुशियां दे आओll दिल से सारे बैर भुलाओ, दुश्मन को भी हँस के गले लगाओ। कोशिश करो कि अंधियारा दूर हो द्वेष और ईर्ष्या दिल से मिटाओll सारे कष्ट दूर हो जीवन से, न हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।