अश्विनी कुमार दुबे का कहानी संग्रह ‘आख़री ख्वाहिश’ का हुआ लोकार्पण

1 0
Read Time4 Minute, 17 Second

बेहतर आदमी तो समाज और साहित्य के माध्यम से ही बन सकता है- संतोष चौबे

इंदौर। क्षितिज संस्था द्वारा आयोजित अश्विनी कुमार दुबे के कहानी संग्रह आख़री ख्वाहिश के लोकार्पण एवं समकालीन कथा साहित्य पर चर्चा के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार, रविंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के कुलाधिपति तथा विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे ने कहा कि,” वामपंथ का पतन 1990 में हो गया था। इसने पूरे कथा परिदृश्य पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है। मैं व्यक्तिगत अनुभव से कह सकता हूँ कि एक सपना हम सब की आंखों में रहता था कि समय आएगा जब यह समय सबके लिए बदल जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि वह सुधार करते-करते पूरी परंपरा का तिरस्कार कर दिया गया। साहित्यकार के पास आदर्श तो था लेकिन चेतना धीरे-धीरे समाप्त होने लगी थी। ऐसे वक्त में दुबे जी ने कहानी का लिखना निरंतर जारी रखा यह महत्वपूर्ण बात है। क्योंकि समाज में बेहतर आदमी समाज और साहित्य के माध्यम से ही बन सकता है।”
प्रमुख अतिथि के रूप में वरिष्ठ कहानीकार एवं वनमाली कथा पत्रिका के संपादक मुकेश वर्मा ने अपने इंदौर में निवास के संस्मरणों को याद करते हुए कथा साहित्य पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि,” समाज में जब बहुत सारा विघटन होता जा रहा है तब आदर्श के सहारे कथा का रचना बहुत आदर्श की स्थापना करता है जो वर्तमान समय में अप्रासंगिक होता जा रहा है। जो नया लेखन सामने आ रहा है वह बड़ा तीखा है और नए विषयों के साथ नई भाषा के साथ नए शिल्प के साथ सामने प्रस्तुत किया जा रहा है।”
देवास से पधारे वरिष्ठ कहानीकार प्रकाशकांत ने कहा कि इस कहानी संग्रह की विशेषताएं यह है कि आखरी ख्वाहिश कहानी के माध्यम से दो राष्ट्रों की स्थिति को लेखक ने प्रस्तुत किया है तथा जो नायक का अंतरद्वंद है वह बहुत खूबसूरत तरीके से रचा गया है। “
कहानीकार किसलय पंचोली ने कहा कि, “लगातार परिवर्तन और विकास का नाम ही जीवन है। कहानी में भी परिवर्तन की यह विकास यात्रा बहुत लंबी रही है । यह यायावर विधा है। कहानियों पर कहानियों के पात्रों पर भी उन्होंने विस्तार से बातचीत की।”
कार्यक्रम के प्रारंभ में माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन किया गया। संस्था के अध्यक्ष सतीश राठी कोषाध्यक्ष सुरेश रायकवार सचिव दीपक गिरकर बृजेश कानूनगो एवं रश्मि स्थापक के द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। अपनी रचना प्रक्रिया पर बातचीत करते हुए लेखक अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि, “लेखक को अपने शब्दों में अपने भाव और अपनी भाषा के साथ लिखना चाहिए जब वह किसी छद्म भाषा का प्रयोग करता है तो वह भाषा पकड़ में आ जाती है। इस संदर्भ में उन्होंने टैगोर के जीवन का एक किस्सा भी प्रस्तुत किया।”
कार्यक्रम का संचालन रश्मि चौधरी के द्वारा किया गया एवं आभार दीपक गिरकर के द्वारा माना गया।

matruadmin

Next Post

महत्त्वपूर्ण है इन्दौर के लिए तारीख़ 20 अप्रैल

Sat Apr 20 , 2024
इंदौर। देश और दुनिया में इस तिथि को इंदौर से ज़्यादा याद रखा जाता है और ख़ास कर हिन्दी जानने, समझने और अपनाने वाले लोगों के बीच में तो महत्त्वपूर्ण है इंदौर से जुड़ी यादें। इंदौर में 20 अप्रैल 1935 से अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रारंभ हुआ था, जिसमें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।