कश्ती से मैंने कहा

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कश्ती से मैंने कहा- ‘बस, अगले मोड़ पर, सुकून होगा, बस चलते रहो…’
सरिता के साथी, तैरने का सफ़र, साहस और उत्साह का बसेरा।

लहरों की गहराइयों में,
मिलेगा मन को अपना स्थान,
प्रकृति की धुन में, खो जाएगा हर आलस्य, बस चलते रहो…

संघर्ष के बाद,
सफलता की मिठास।
कश्ती से मैंने बोला- ‘बस, अगले मोड़ पर, सुकून होगा… बस चलते रहो…’

अब कश्ती ने कहा- ‘हाँ, वहाँ सुकून है,
हृदय का आलिंगन,
हवा की लहरें
और प्रकृति की धुन का साथ,
बस चलते रहो…’

जहाँ न कोई बाधा, न ही रुकावट, बस हृदय का आलिंगन और प्रकृति की धुन,
सिर्फ़ स्वतंत्रता का अनुभव, ख़ुशियों का संगम, और कश्ती का साथ।

कठिनाइयों को पार करने का मार्ग,
कश्ती ने कहा- ‘हाँ, वहाँ सुकून तो है…बस चलते रहो…’

डॉ. सुनीता श्रीवास्तव

इंदौर, मध्य प्रदेश

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