गले लगते दोस्त बोला क्या छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया सारा दिन फेसबुक पर रहना छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी हर रोज नए पचड़े सर दर्द की नई दुकान दिन भर पिंगों-फारवर्ड करना छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया अब कहें क्या […]

कुछ ख़्वाब बुन लेना जीना आसान हो जायेगा दिल की सुन लेना तेरा इक मक़ाम हो जायेगा मुद्दत लगती है दिलकश फ़साना बन जाने को हिम्मत रख वक़्त पे इश्क़ मेहरबान हो जायेगा टूटना और फिर बिखर जाना आदत है शीशे की हो मुस्तक़िल अंदाज़ ज़माना क़द्रदान हो जायेगा लर्ज़िश-ए-ख़याल […]

मैं क्या मिरी आरज़ू क्या लाखों टूट गए यहाँ तू क्या तिरी जुस्तजू क्या लाखों छूट गए यहाँ चश्म-ए-हैराँ देख हाल पूँछ लेते हैं लोग मिरा क़रीबी मालूम थे हमें हम-नशीं लूट गए यहाँ फूलों की बस्ती में काँटों से तो न डरते थे हम सालों से हो रखे थे […]

जब ज़िन्दा था तो काश तुम सीख लेती जीने का क़ायदा शम-ए-तुर्बत१ की रौशनी में ग़मज़दा होने का क्या फ़ायदा इख़्लास-ओ-मोहब्बत२ जुरूरी है मुख़्तसर३ सी ज़िंदगी में अपना बनाने को शर्त-ए-मुरव्वत४ रखने का क्या फ़ायदा सर-ए-दीवार५ रोती रह ज़ालिम मैं लौट के नहीं आने वाला क़ब्रनशीं के साथ ख़्वाब-ए-क़ुर्बत६ सजाने का क्या फ़ायदा तह-ए-क़ब्र७ तो सुकून-बख़्श मुझे […]

उम्र भर सवालों में उलझते रहे, स्नेह के स्पर्श को तरसते रहे फिर भी सुकूँ दे जाती हैं तन्हाईयाँ आख़िर किश्तोंमें हँसते रहे आँखों में मौजूद शर्म से पानी, बेमतलब घर से निकलते रहे दफ़्तर से लौटते लगता है डर यूँ ही कहीं बे-रब्त टहलते रहे ख़ाली घर में बातें करतीं […]

क्या रखा है तेरी याद में उम्र भर बे-सुकून क्यों जीते रहें उम्र भर दिल-लगाया-ओ-इश्क़-आजमाया तमन्ना क्यों सताती रहे उम्र भर हँसता हूँ ख़्याल पे कि तुम मेरे हो ग़ैरों को क्यों तड़पते रहें उम्र भर जुनूँ में रातें बेहिसाब वफ़ा कर चुके बेवफ़ा क्यों याद आती रहे उम्र भर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।