क्या होता है जब हीन भावना से ग्रस्त और प्रतिकूल परिस्थितियों से पस्त कोई दीन – हीन ऐसा किशोर कॉलेज परिसर में दाखिल हो जाता है जिसने मेधावी होते हुए भी इस बात की उम्मीद छोड़ दी थी कि अपनी शिक्षा – दीक्षा को वह कभी कॉलेज के स्तर तक […]

यह बहुत बड़ी विडंबना है कि हिन्दी को तोड़ने वालों में हिन्दी के अपने ही लोग हैं। भोजपुरी के कुछ समर्थकों का यह विचार है कि हिन्दी भाषा से अलग होने पर ही भोजपुरी भाषा और संस्कृति का विकास हो पाए गा। वास्तव में यह उनका भ्रम है। भाषाविज्ञान की […]

आलोचना, समीक्षा या समालोचना का एक ही आशय है, समुचित तरीके से देखना जिसके लिए अंग्रेजी में ‘क्रिटिसिज़्म’ शब्द का प्रयोग होता है। साहित्य में इसकी शुरुआत रीतिकाल में हो गई थी किन्तु सही मायने में भारतेन्दु काल में यह विकसित हुई। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का इसमें महती योगदान […]

क्या दया और करुणा दिल से धुल गए जो मिटने मिटाने पे हैं तुल गए कभी मंदिर कभी मस्जिद पर होती है चढा़ई धर्मों में बंट गई है अब गांधी की लडा़ई हम धर्मों में,जातों में ,समुदाय में अटके भूलकर सभी आदर्श अपनी राह से भटके बन शैतान के मानिंद […]

लेकर हल काँधे पर निकल गए भूमिपुत्र सारे। खुशियों को बांटने चले आये आषाढ़ के बादल।। माटी की सोंधी सोंधी महक से झूम उठे खेत। भूमिपुत्रों को मनाने आ गए आषाढ़ के बादल।। ये इंद्रधनुषी सपनो को उम्मीदों के पंख लगाने। फिर उमड़ घुमड़ कर आ गए आषाढ़ के बादल।। […]

जब से मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव में लोगों के मरने की समस्या खत्म हुई है, मानव जनित एक नई समस्या ने आकर समाज को घेर लिया है। मानव द्वारा मानव का बलात्कार। उम्र और लिंग को नजरअंदाज करते हुए बलात्कार। निजी और सार्वजनिक स्थलों पर बलात्कार। दुधमुहे बच्चों से लेकर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।