सुमन रोती हुई बाहर निकली थी, आज उसके आदर्श हीरो ने ही उसकी इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की थी। माँ तो बहुत समझाती थी कि ये हीरो लोग ओर ख़ासकर जिसको तुम आदर्श मान रही हो ठीक नही है, लेकिन जवां हसरतों के आगे सुमन को कुछ नही […]

कितने चेहरे बदलोगे दिन में अलग रात में अलग तुम कितने चेहरे बदलोगे इंसान हो कि गिरगिट हो पल पल चेहरे बदलोगे हर चेहरा कुछ बयां करेगा कुछ अच्छा कुछ बुरा करेगा खुदगर्ज़ी के सारे सबूत परत दर परत खोलेगा जुबां पर गुनाह के चिठ्ठे वो हर हाल में बोलेगा […]

लेख उनकी मृत्यु से पूर्व लिखा था #राजेश बादल उस दिन दिल्ली में एक होटल के कमरे में नीरज से दो ढाई घंटे की गपशप हुई ,लेकिन जी नहीं भरा । न मुझे संतोष हुआ और न नीरज को । बोले ,कई साल बाद इस तरह दिल की परतें खुलीं […]

   – राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”        कवि,साहित्यकार  आओ विजन दो हज़ार बीस की ओर चलें। सबको विजन 2020 क्यों पूरा करना चाहिए इसका सीधा उत्तर है हम दो हज़ार बीस तक हमारे देश को विकासशील से विकसित बनाएंगे। जो विजन हमें कलाम साहब ने दिया उसे पूरा करना […]

शव शय्या पर हुवा जलाशय ,अब भी न्याय की आस हे विनाश करे जो सरोवर का ,क्या यही विकास हे खुनी आसू रो रहा जलाशय भरा लबालब था कभी मूक दर्शक बने हुवे जो जिम्मेदार थे वो सभी रसुब सत्ता के मद में तुम आततायी होने वालो बूंद बूंद को तरसोगे तुम मत मुगालता कोई पालो तुम से तो राजा अच्छे थे जो जनता के सेवक सच्चे थे पर्यावरण के रखवाले थे नहीं तुम जेसे विष वाले थे जलाशय की रखवाली करते थे पानी की रक्छा के लिए मरते थे सरकारी जमींन खाली  रखते थे सारे पशुधन उस पर चरते थे जलाशय में  पानी होता था गहन गंभीर मालवा होता था फिर ना जाने क्यों आजादी आयी खुब मनमानी और बर्बादी लायी काकड़ गोये राजनीती की बलि चड़े चोकीदार और नेता उनपर टूट पड़े पशुपालन की जो थी जमीन उसका मालिक बन बेठा अमिन मनमाने निर्णयों में पर्यावरण को खाया हे बिना पेड़ के आया सब पर मोत का साया हे षडयंत्र करके जलाशयों को  तोडा   हे गहरा करने के नाम पर उनका पेंदा फोड़ा हे जब खाली जलाशय शव शय्या पर थे पड़े भू माफिया और छुट भय्या उस पर टूट पड़े कंक्रीट का जंगल बेचारे तालाबो पर बन गया जीवन दान देने वाला जलाशय शमशान बन गया जलचर जानवरों की आत्मा वहा बिलखती हे परियो और राहगीरों की रूहे वहा सुलगती हे फिर कुवे बावड़ियो का नम्बर आया अल्टरनेटिव में उनके हेंडपंप को लगवाया जलाशय सूखने से बावडियो के पेंदे सूखे हेंड पंप चला चलाके बहनों के पेडू दुखे जब पर्यावरण की वाट लगा डाली तो पानी के स्रोत हो गये सब खाली जंगलो और खेतो में सड़के जब बनवाई खेती बाड़ी को भी मशीनों के मोहताज बनाई विदेशी दवाई और खाद देश में जब घुस आया साथ में ढेरो बीमारी और कुपोषण ले आया पहले जो ब्लड टेस्ट में भी  था घबराता अब ख़ुशी ख़ुशी वो हार्ट सर्जरी करवाता सारी कमाई घुस जाती हे साबुन और दवाओ में फिर भी इंसान जिन्दा हे सपनो और हवाओ में #राजेश भंडारी “बाबू” इंदौर(मध्यप्रदेश) Post Views: […]

मोटी मोटी फीस मोटे मोटे बस्ते गले में है टाई कमर में बेल्ट हाथ में बोतल पीठ पर बस्ता ले टिपिन चलें आओ स्कूल चलें बस में भीड़ भाड़ धक्का मुक्की होती बार बार हर जगह कतार पहले आओ पहले पाओ फीस लेकर चलें चलो स्कूल चलें गुरुजी की डांट […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।