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मोटी मोटी फीस
मोटे मोटे बस्ते
गले में है टाई
कमर में बेल्ट
हाथ में बोतल
पीठ पर बस्ता
ले टिपिन चलें
आओ स्कूल चलें
बस में भीड़ भाड़
धक्का मुक्की
होती बार बार
हर जगह कतार
पहले आओ
पहले पाओ
फीस लेकर चलें
चलो स्कूल चलें
गुरुजी की डांट
होमवर्क की मार
कॉपी रजिस्टर
पेपर पेंसिल
रबर कटर
सब सजाकर चलें
चलो स्कूल चलें
योग प्रार्थना खेलकुद
विषयों का ले ज्ञान
जाति धर्म का भाव
गाएं एकता का गान
ले मीठा तराना चलें
चलो स्कूल चलें
सब संग संग खाएं
दोस्तों के संग खेलें
खेल खेल में सीखें
खेल खेल में बोलें
आओ रेल रेल खेलें
आओ स्कूल चलें
पिंकी रमजान डेविड
सब डिब्बे बन जाएं
कालू बनेगा इंजन
गार्ड बनेगा बालू
आओ रेल में चलें
आओ स्कूल चलें
सरकारी में जाता कान्हा
मुफ्त किताबें पाता
सुबह सुबह दूध पीता
दोपहर में भोजन करता
मुफ्त का ले लेपटॉप
सब विषयों को पढ़ता
छात्रवृत्ति भी ले चलें
चलो स्कूल चलें
कान्हा की प्यारी बहना
मंजु सरकारी स्कूल जाती
मुफ्त सायकिल पाती
गार्गी सम्मान लाकर
गाँव का मान बढ़ाती
घर के सारे काम करती
फिर कहती जोर से वह
चलो स्कूल चलें
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।
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Thu Jul 12 , 2018
वो बंद कमरा जो खोला जाता था कभी कभी उस बंद कमरे में लोगों की नज़रों से छुपकर हम बुना करते थे अपने सपने वो बंद कमरा जिसमे अटी पड़ी थी धूल कई वर्षों की देती थी आभास उन मधुर क्षणों में पुष्प शैया सा वो बन्द कमरा जो खुलते […]