1

पता नहीं,तब अपोलो या `एम्स` जैसे अस्पताल थे या नहीं, लेकिन बचपन में अखबारों में किसी किसी चर्चित हस्ती-खासकर राजनेता के इलाज के लिए विदेश जाने की खबर पढ़कर मैं आश्चर्यचकित रह जाता था। अखबारों में अक्सर किसी-न-किसी बूढ़े व बीमार राजनेता की बीमारी की खबर होती थी। साथ में […]

बैंक में एक कुर्सी के सामने लंबी कतार लगी है। हालांकि,बाबू अपनी कुर्सी पर नहीं है। हर कोई घबराया नजर आ रहा है। हर हाथ में तरह-तरह के कागजों का पुलिंदा है। किसी को दफ्तर जाने की जल्दी है,तो कोई बच्चे को लेने शाला जाने को बेचैन है। इस बीच […]

आजकल मनःस्थिति कुछ ऐसी बन गई है कि,यदि किसी को मुंह लटकाए चिंता में डूबा देखता हूं तो लगता है जरूर इसे अपने किसी खाते या दूसरी सुविधाओं को `आधार` कार्ड से लिंक कराने का फरमान मिला होगा। बेचारा इसी तनाव में परेशान है। यह सच्चाई है कि,देश में नागरिकों […]

 फिल्मी `दंगल` के कोलाहल से काफी पहले बचपन में सचमुच के अनेक दंगल देखे। क्या दिलचस्प नजारा होता था। नागपंचमी या जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर मैदान में गाजे-बाजे के बीच झुंड में पहलवान घूम-घूमकर अपना जोड़ खोजते थे। किसी ने चुनौती दी तो हाथ मिलाकर हंसते-हंसते चुनौती स्वीकार किया। फिर […]

कहते हैं बाजार में वो ताकत है,जिसकी दूरदर्शी आंखें हर अवसर को भुनाकर मोटा मुनाफा कमाने में सक्षम हैं। महंगे निजी स्कूल,क्रिकेट,शीतल पेयजल व मॉल से लेकर फ्लैट संस्कृति तक इसी बाजार की उपज है। बाजार ने इनकी उपयोगिता व संभावनाओं को बहुत पहले पहचान लिया और नियोजित तरीके से […]

`हिन्दी दिवस` विशेष……… छात्र जीवन में अनायास ही एक बार दक्षिण भारत की यात्रा का संयोग बन गया। तब तामिलनाडु में हिन्दी विरोध की बड़ी चर्चा होती थी। हमारी यात्रा ओड़िशा के रास्ते आंध्रप्रदेश से शुरू हुई और तामिलनाडु तक जारी रही। इस बीच केरल का एक हल्का चक्कर भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।