भोर का खुला आसमान नव प्रभात की बेला में, दोनों हाथों को फैलाकर उड़ जाऊँ पंछी बनकर, और नाप लूँ नभ को उम्मीदों के पंख लगाकर। इस छोर से उस छोर तक दूर क्षितिज में खो जाऊँ, अपना अतीत बनकर या में तितली बनकर, मंडराऊँ फूल-फूल पर। रंग-बिरंगे फूलों की […]
हर नदी के पास वाला घर तुम्हारा, आसमां में जो भी तारा हर तुम्हाराl बाढ़ आई तो हमारे घर बहे बस, बन गई बिजली तो जगमग घर तुम्हाराl तुम अभी भी आँकड़ों को गढ़ रहे हो, देश भूखा सो गया है पर तुम्हाराl तब तुम्हें कोई मदारी क्यों कहेगा, छोड़कर […]
अषाढ़ बीता सावन बीता, आंगन रहा रीता का रीता। कुदरत ने घुमाई ऐसी छड़ी लगी अब भादो की झड़ी॥ जब जागो तब सवेरा है, आंख मीची के अंधेरा है। देर है पर नहीं है अंधेर, सब है ये समय का फेर॥ जल है तो जीवन है, जल बिन सिर्फ अगन […]
चल रे मन आज कुछ नया करते हैं, आसमां को जमीं और जमीं, को आसमां पर ले चलते हैं। आँगन में बिखरी यादों के लम्हों को, मेंहदी वाली हथेलियों से समेटते हैं। चल रे मन ……………………॥ पनीली अँखियों में रुठे सपनों को ढूंढते हैं, बहते हुए आंसूओं का समन्दर ढूंढते […]
कल रात तुम्हारा चन्दा आया था मेरे पास॥ कहता था, नहीं गुजारा बड़े-बड़े शहरों में अब, जितना चढ़ता ऊपर मैं उतना छोटा होता नभ। देखी नहीं चांदनी ने हरी-भरी कहीं घास॥ गगनचुम्बी, अट्टालिका पर चढ़-चढ़कर थक जाता हूं, स्याह साँपिनि सड़कों पर चल-चलकर, थक जाता हूं। कभी नहीं भर पाता […]
उनसे मेरी वह अंतिम मुलाक़ात किसी किस्म का संयोग भर ही कही जा सकती थी, क्योंकि मैं उनको बिना कोई पूर्व सूचना दिए, सहसा उनके उज्जैन स्थित निवास पर पहुँच गया था, जहाँ वे अपनी बेटी के साथ जीवन के आख़िरी वर्षों को गिन-गिन कर काटते जा रहे थे, क्योंकि […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।