जगुआ को मरे आज पूरे पन्द्रह साल हो गये | उसकी बेटी भूरी जवान हो चुकी है | उसके जैसी सुंदर चाल-ढाल वाली लड़की पूरे गांव में तो क्या पूरी तहसील में नहीं है | उसके सौन्दर्य पर पागल हो रहे गाँव के मुखिया का लड़का साहिल हमेशा इसी ताक […]

व्यथान्जलि एक बड़ी वेदना की सच्ची अभिव्यक्ति है..वारांगना काव्यसंग्रह न होकर युगों की पीड़ा का कोमल चित्रण है…वारांगना कौन के प्रश्न के उत्तर में कवि स्वयं लिखता “स्त्री होकर स्त्रीत्व हारती..जग में रहकर खुद को मारती” कैसे के जवाब को ऐसे निरूपित किया- छूटा बचपन अल्हड़ जवानी..दहलीज पर भूख उसे […]

आपदा अवसर बनकर रह गई जुमलों की सरकार जुमलों से चल गई जनता हाथ मलते रह गई || अवसर को सबने खूब भुनाया सरकारी सम्पत्ति बेक – बेककर नेताजी ने देश चलाया बढ़ता क्राइम ग्राफ रुक नहीं पाया || एक तरफ विकास का बजता डंका मिल गये आपस में सदाचार […]

आगरा | गुरूपूर्णिमा के पावन अवसर पर बृजलोक साहित्य कला संस्कृति अकादमी के सौजन्य से एक ऑनलाइन साहित्य साधना एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया | जिसमें देशभर के कलम साधकों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई | जिनमें प्रमुख हैं – डॉ. तुमुल विजय शास्त्री (चन्दौसी – उ. प्र.), […]

पाँव रख संभालकर महामारी का समय है फन फैलाये फुफकार रहे हैं काले नाग ड़स रहें आदमी, आदमी को … वर्तमान सरकारें हो चुकी हैं पूर्णरूप से नाकाम खड़े करके दोनों हाथ छोड़ दिये गरीब-मजदूर मरने-कटने स्वयं के भाग्य पर सारा देश चल रहा है रामभरोसे ! सरकार चलाने वाले […]

1947 के बंटवारे का दर्द वो ही समझ सकते हैं, जिन्होंने उस दर्द को स्वयं सहा है | अगर हम समझ पाते तो आज हम सब भारतीय होते न कि गुजराती, मराठी, पंजाबी, बिहारी, दक्षिणी-पश्चिमी, उत्तरी… | आजादी के बाद भी हमने आजाद भारत में तमाम दंगे किये हैं | […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।