पीपल वाला भूत

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जगुआ को मरे आज पूरे पन्द्रह साल हो गये | उसकी बेटी भूरी जवान हो चुकी है | उसके जैसी सुंदर चाल-ढाल वाली लड़की पूरे गांव में तो क्या पूरी तहसील में नहीं है | उसके सौन्दर्य पर पागल हो रहे गाँव के मुखिया का लड़का साहिल हमेशा इसी ताक में रहता कि कब भूरी को अपनी हवश का शिकार बनाया जाये | परन्तु हरिजन बस्ती में वो सफल नहीं हो पा रहा था |

ऊंचे टीले वाले बाबा के पास अक्सर साहिल जाया करता था, और आश्रम पर खूब नशा-दारू का दौर चलता | एक दिन साहिल ने बाबा को अपने दिल की बात बता दी | बाबा जी ने अपना शैतानी दिमाग चलाया | दूसरे दिन आश्रम पर भजन कीर्तन का कार्यक्रम रचाया | पूरे गांव को न्यौते पर बुलाया | अवसर पाकर प्रसाद में भांग मिलाकर भूरी को खिलाया |

भांग ने अपना रंग दिखाया, भूरी को नशे का जोश आया | बाबाजी ने बताया, कि पीपल वाला भूत भूरी पर आया | सारी रात इलाज करना पड़ेगा | भूरी को आज आश्रम पर ही रहना पड़ेगा | भूरी को साहिल, बाबा और कुछ अन्य चेलों ने रातभर नोंचा… |

और सुबह बेचारी भूरी जब होश में आई तो चाहकर भी किसी से कुछ कह न सकी | अपने रिसते जख्म किसी को दिखा भी न सकी…|

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
फतेहाबाद, आगरा

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।