पुस्तक समीक्षा- वारांगना – व्यथांजलि

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व्यथान्जलि एक बड़ी वेदना की सच्ची अभिव्यक्ति है..वारांगना काव्यसंग्रह न होकर युगों की पीड़ा का कोमल चित्रण है…वारांगना कौन के प्रश्न के उत्तर में कवि स्वयं लिखता “स्त्री होकर स्त्रीत्व हारती..जग में रहकर खुद को मारती” कैसे के जवाब को ऐसे निरूपित किया- छूटा बचपन अल्हड़ जवानी..दहलीज पर भूख उसे ले आई…उसके चित्त में कौन -दिन की रोशनी उसे न भावे..शाम ढले सब पास आ जावे… क्या कहती वारांगना…को कवि लिखता है-साज जो थे नही राज बनकर रह गए…वारांगना तुम कैसे जी पाती… तुम कितना सह जाती. .तुम कैसे घाव छुपाती..ये दोष कैसा ..अपना कौन था…वारांगना चुप रही सदा किन्तु कवि ने इन समस्त प्रश्नों के उत्तर जिस चित्रण के साथ दिए उन उत्तरों से पाठक निरुत्तर हो जाता है…तुम कैसे रहती… कुछ न कह पाती  ..कही न उसने सुख पाया.. अमानक नही है कमलदल सारे…विरहणी को यूं भला कौन पुकारे…कवि वारांगना के मन का वाचक होकर लिखता है…अर्घ्य दिनकर को दे जाती..अर्थ हिमालय से ले आती…व्यथा की अभिव्यक्ति में कवि ने वो सब कहा जो पीर की पराकाष्ठा है..झूठ के आलिंगन में सत्य केवल मौन है…सच कह दु तो इतनी सरलता से सहज शब्दो मे पीड़ा को शब्द देने का हुनर..काव्यात्मक रूप से  करने पर मैं आज डॉक्टर अर्पण जैन अविचल जी को बधाई देता हूं”.. जो अच्छी कविता पढ़ना चाहते है एक बार वारांगना अवश्य पढ़ें…पुरुष होकर स्त्रीत्व की पैरवी और पैरवी भी उसकी जो जग का मैला खुद ढोती है…
पुस्तक- वारांगना – व्यथांजलिलेखक- डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’प्रकाशक- संस्मय प्रकाशन, दिल्लीमूल्य- 70 रुपये मात्र
 *समीक्षक- कवि मुकेश मोलवा, इंदौर*

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।