मैं क्या बोलू अपने बारे में। क्योंकि खुद न जानू अपने बारे में। लोग बहुत कुछ कहते है मेरे बारे में। पर कभी कुछ बुरा नही सुना अपने बारे में।। दिल को अब, कैसे हम समझाए । वो मानता ही नही है। और न ही जनता है । बस नाम, […]

अब की बदरा ऐसे बरसो बुझ जाय धरती की प्यास रे उदासी हटे किसानों की पूरी कर दो आस रे धानी चुनरिया वसुंधरा ओढे दमक उठे श्रृंगार रे चातक बैठा जिस बून्द को पूरी उसकी चाह रे धरती माँ की अन्तस् से सूखी जल धार की स्रोतें छेद हजारों सीने […]

हां कली ही थी तुम    जो कभी न खिल पायी आंखों में शर्म हया     तुझे उसमें बेटी नज़र नही आई।। कब तलक हम चुप बैठे   घनघोर निंदा करेंगे तुष्टिकरण से जिंदा अपने  सियासत खेल को रचेंगे कौन दिशा में समाज        हमको ले जा […]

आओ एक पौधा लगाएं हम प्यार का सींचे स्नेह का पानी डालें खाद दुलार का। रोकें तेज धूप अभिमान का पोषण दे विश्वाश का सहेजें अपने रिश्ते छोड़े हठ गुमान का आओ एक पौधा लगाये रिश्तों में प्यार का अपनत्व के अहसास का सँवारे वसुधा को जो जीवन प्रदायनी है […]

प्रकृति को सहेजने को अब सब मिलके तैयार हो, विनाश ना हो प्रकृति का यह प्रयास बार – बार हो, जागो सभी बचाओं अब इस सृष्टि के आधार को, पेड़ लगाओ और बचाओ जीवन और संसार को, पेड़ कट रहें है अंधाधुंध अब  तेजी  से   चहुंओर, जंगल करके साफ फैक्ट्रियां […]

खुद की खोज जारी रखो, मरनें की रोज तैयारी रखो,   कब कौन कहां बदल गया, इसकी पूरी जानकारी रखो,   खुद पर यकीन करना सीखो, नियत सच्ची और जुबां प्यारी रखो,   वहम और अहम मत पालों कभी, चुनिंदा लोगों से हरदम यारी रखो,   हक के लिए सदा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।