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आओ एक पौधा लगाएं हम प्यार का
सींचे स्नेह का पानी डालें खाद
दुलार का।
रोकें तेज धूप अभिमान का
पोषण दे विश्वाश का
सहेजें अपने रिश्ते
छोड़े हठ गुमान का
आओ एक पौधा लगाये
रिश्तों में प्यार का अपनत्व
के अहसास का
सँवारे वसुधा को जो
जीवन प्रदायनी है
रोके तरु की हरियाली
जिसको हमने दी बदहाली है
आओ फिर संकल्प उठाएं
धरा के सम्मान का
पीढ़ी के बचाव का
नैतिकता के मान का
जन्म के उत्थान का
आओ एक पौधा लगाएं।
#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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