हर मनुष्य को स्वदेश और स्वभाषा से प्रेम होना चाहिए। हिंदी की छोटी बहन उर्दू है। यह हमारी बोलचाल की भाषा में अच्छे से घुल मिल गई है। इस भाषा ने पूरे भारतवर्ष को एकता में पिरोया हुआ है। भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ […]

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हस्तक्षेप ऐसा जो किसी भी महत्वाकांक्षी नेता को हजम नहीं हो सकता है। यह बात है सरदार वल्लभ भाई पटेल की, जब उन्होंने सारे राज्यों को स्थानीय राजाओं से बातचीत करके सरकार के अधीनस्थ कर लिया था तो चुनावों का दौर आया। यह दौर भारतीय लोकतंत्र के लिए एकाधिकार की […]

शिक्षा की भाषा,दैनंदिन कार्यों में प्रयोग की भाषा,सरकारी काम-काज की भाषा के रूप में हिन्दी को उसका जायज गौरव दिलाने के लिए अनेक प्रबुद्ध,हिन्दीसेवी और हितैषी चिंतित हैं और कई तरह के प्रयास कर रहे हैं,जनमत तैयार कर रहे हैं। समकालीन साहित्य की युग-चेतना पर नजर दौड़ाएं तो यही दिखता […]

फिर आजादी…आजादी का वह डरावना शोर सचमुच हैरान करने वाला था। समझ में नहीं आ रहा था कि,आखिर यह कैसी आजादी की मांग है। अभी कुछ महीने पहले ही तो देश की राजधानी स्थित शिक्षण संस्थान में भी ऐसा ही डरावना शोर उठा था,जिस पर खासा राजनीतिक हंगामा हुआ था। […]

आरक्षण को स्वतंत्र भारत के संविधान में एक समाधान के रूप में शामिल किया गया था,परन्तु आज उसी आरक्षण ने समस्या बनकर पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुआ,तब भारतीय समाज जातीय व्यवस्था पर आश्रित थाI दलितों के साथ उचित न्याय हो सके,उन्हें भी समाज […]

पानी प्रत्येक प्राणी के लिए अनमोल है,इसकी दिन-प्रतिदिन कमी धरती के लिए खतरा बन गई है l कुछ स्थान ऐसे भी है,जहाँ  लोगों को पीने का पानी बमुश्किल ही मिल पा रहा है l राजस्थान में कुछ जगह तो औरतें  दूर-दूर से मटके सिर पर रखकर पीने का पानी पैदल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।